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________________ सतरहभेदी-पूजा ॥ गद्य ॥ तएण ते अठमयं कुमार कुमरीओ सूरियामेण देवेणं सदिट्ठा रग मडवे परिहा जिण नमता गायता वायता नच्चंतेत्ति ॥ ॥ रागनट्ट त्रिगुण ।। नाचंति कुमार कुमरी, द्रागडदि तत्ता थेड्य, द्रागडदि द्रागडदिकि थोंग थोंगनि मुखे तत्ता घेडय ॥ ना० ॥१॥ वेणु वीणा मुरज पाजे, सोलही सिणगार साजे, तनन्न नन्नानेइय, घणण घणण धूघरी घमके, रण्णण्णण णा णेहय ।। ना० ॥ २ ॥ कसती कचुकी तरुणी, मजरी झकार करणी, मोमति कुमरीय, दस्तकृत हावादि भावे, ददति भमरीय ।। ना० ॥ ३ ॥ सोलमी नाटक पूजा, सुरीयाभे रापण कोनी । मुगंध तत्ता त्येईय, जिनप भगते भरिक लोणा, आणद तत्ता थेईय || ना० ॥४॥ || सप्तदशमी यानित्र पला । ॥दोहा॥ ततधन सुपिरे जानधे, वाजिब चउनिध वाय । भगति भली भगवनी, गतरमी ए मुदाय ॥
SR No.034089
Book TitleBruhat Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshanashreeji
PublisherGyanchand Lunavat
Publication Year1981
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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