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________________ वृहत् पूजा-संग्रह ॥ श्री राम || जिनगुण गानं श्रुत अमृतं । तार मंद्रादि अनाहत तानं, केवल जिस तिम फल अमृतं || जि० ॥ १ ॥ विबुध कुमार कुमारी आलापे, सुरज उपंग नाद जनितं । पाठ प्रबंध आप्रतिमान, आयति छंद सुरति सुमितं ॥ २ ॥ शब्दसमान रुच्यो त्रिभुवनकु, सुर नर गावे जिन चरितं । सप्तस्वर मान शिवश्री गीतं, पनरमी पूजा हरे दुरितं ॥ जि० ॥ ३ ॥ ८६ 4118 ॥ पोडस नृत्य पूजा || ॥ दोहा ॥ कर जोडी नाटक करे, सजि सुन्दर सिणगार । भव नाटक ते नवि भमे, सोलमी पूजा सार ॥ ॥ राग शुद्ध नट्ट || ॥ काव्यं । शार्दूलविक्रीडितं वृतं ॥ भावा दिपिमणा सुचारु चरणा, सुं पुन्न सपिम्मासम रूव वेस वयसो, मत्तेभ लावण्णा सगुणा पिकल्स रखई, रागाह कुम्मारी कुमरावि जैनपुरओ, नच्चंति चंदानना, कुंभत्थणा | आलावणा, सिंगारणा ।
SR No.034089
Book TitleBruhat Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshanashreeji
PublisherGyanchand Lunavat
Publication Year1981
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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