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________________ पणाथी आ भवमां ज राज्य खोइ केद पकडाया छे. चोरी करनार पण आ भवमां केदमां जाय छे. आ सर्व कर्मनी विचित्रता ज छे. जुलाबनी एक दवा एवी होय छे के तेनी असर तत्काल थाय छे, वली बीनी दवा एवी होय छे के तेनी असर बे चार कलाक पछी थाय छे. मनुष्य झेर खाय छे तेमां कोइ झेर एवं होय छे के खाधुं अथवा सूंघ्यु के तुरत मृत्यु थाय छे. कोइ झेर एवं होय छे के माणसने कालांतरे रीबावी रीबावी. ने मारे छे; तेम कर्म पण विचित्र प्रकारनां छे. ते कोइने तत्काल अने कोइने भवांतर प्राप्त थाय छे. कर्मने अनुसारे मनुष्यने जूदी जूदी योनि प्राप्त थाय छे. कोइ कहेशे जे तेनी खात्री शं? तो जाणवू जे माणस म. रीने केटलाएक व्यंतर थाय छे ते आवीने तेना कुटुंबना पूछेला सघला जवाब आपे छे अने तेओने खात्री करी आपे छे. ते उपरथी बीजो भव सिद्ध थाय छे. पोतानी करणी माफक जीव बीजी गतिमां जाय छे. सघली वात कर्मने संबंधे ज बने छे, वली मंत्रवादीओ सर्पना मंत्र भणे छे ते वखते मंत्रना अधिष्ठायक देवता सर्पना विषने शरीरमांथी हरण करी ले छे; ते उपरथी देवनी जाति सिद्ध थाय छे. ज्यारे बीजी गति छे सारे कर्म विना बीजी गतिमां कोण लइ जाय ? ए अनुमानथी पण कर्म सिद्ध थाय छे. ४६ प्रश्नः-कर्मना संयोगथी प्रणाम बगडे छे अने नवां कर्म बंधाय छे. एवी रीते परंपरा चाली जाय छे त्यारे कर्मथी मुक्त शी रीते थाय ? उत्तरः-कर्मना बे प्रकार छे. (१) उपक्रमी (२) निरुपकमी. तेमां निरुपक्रमी कर्म बांधेला होय छे ते तो भोगव्या विना छूटको थतो ज नथी. उपक्रमी कर्म आत्मानी विशुद्धताथी खरी जाय छे अने अधिक विशुद्धता प्राप्त थाय छे. जेम के केटलाएक रोग एवा होय छे के जन्म पर्यंत भोगव्या विना छूटको थतो नथी अने केटलाएक रोगने औषधनो प्रयोग लागे छे के शांति थाय छे. जेम जे गुरुना संयोगथी ज्ञान थाय छे, ते ज्ञानवंत जीव पापनो उदय थाय त्यारे विचारे जे में पूर्वे अज्ञानपणे कर्म बांध्यां छे ते भोगव्या विना छूटको ज नथी. वास्ते म्हारे विक Scanned by CamScanner
SR No.034080
Book TitlePrashnottar Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupchand Malukchand Sheth
PublisherJain Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1906
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size135 MB
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