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________________ भाषाभास्कर . परि-सर्वतोभाव अतिशय त्याग आ.दे का द्योतक है । जेसे परिपूर्ण परिजन परिच्छेद परिहार इत्यादि । ___ उप-समीपत्ता निकृष्टता आदि का द्योतक है। जेसे उपवन उपयहा' उपपत्ति इत्यादि ॥ आ-सीमा यहण विरोध आदि का द्योतक है। जैसे आभोग आकार पादान आगमन आरोग्य इत्यादि ॥ अ-रहितता निषेध आदि का द्योतक है। जेसे अबल अक्षय अपवित्र । स्वरादि शब्द के आगे के आने से अन् हो जाता है । जेसे अनादि अनन्त अनुचित अनेक इत्यादि ॥ ___ सह वा स-संयोग सङ्गति आदे का द्योतक है। जेसे सहकर्मी सहगमन सहचर साकार सचेत इत्यादि । ४ समुच्चयबोधक। ३५० जो शब्द दो पदों वा वाक्यों वा वाक्यें। के अंश के मध्य में आते हैं और प्रत्येक पद के भिन्न क्रिया सहित अन्बय का संयोग अथवा विभाग करते हैं उन्हें संयोजक और विभाजक अव्यय कहते हैं । जेसे संयोजक शब्द । विभाजक शब्द । ओ, यथा वा और यदि एवं जो क्या-क्या भी परंतु अथवा पुनर किन्तु चाहे फिर जो ___ ५ विस्मयादिबोधक शब्द । ३५१ विस्मयादिबोधक अव्यय उसे कहते हैं जिस से अन्तःकरण का भाव वा दशा प्रकाशित होती है वे नाना प्रकार के हैं। जैसे पीड़ा वा क्लेश बोधक यथा माह अह अहह आहा ओहो होहो हाय हाय वाह-वह बा चाहि च बापरे अहहह मेवार बप्पारे । आनन्द वा. Scanned by CamScanner
SR No.034057
Book TitleBhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorEthrington Padri
PublisherEthrington Padri
Publication Year1882
Total Pages125
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size43 MB
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