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________________ हुआ है, लेकिन उस रूप हो नहीं गए हैं। अभी तक भेद है। संपूर्ण शुद्धात्मारूप हो जाने पर संपूर्ण अभेद हो जाएँगे। शुद्धात्मा के साथ अभेद कौन होता है ? अहंकार? नहीं। प्रज्ञा शुद्धात्मा के साथ अभेद हो जाती है। प्रज्ञा आत्मा में से जुदा हुई है वह एक हो जाती है। व्यवहार पूर्ण करने के लिए जो प्रज्ञा अलग हुई है, (आत्मा से अलग हुई है,) काम पूरा होने के बाद वह एक हो जाती है। __ अभी अपना 'मैं 'पन प्रज्ञा में है। ज्ञान से पहले वह अहंकार में था, वह अब खत्म हो गया है। पहले हम अहंकार में बरत रहे थे, और अब आत्मा में बरतते हैं अत: अंतरात्मा हो गए। अंतरात्मा, वही प्रज्ञा है। जब तक अंतरात्मा दशा है तब तक स्व रमणता है और बाहर की रमणता भी है। अंत में केवल स्व रमणता, वही केवलज्ञान! वही परमात्मा! [2.1] राग-द्वेष संसार का रूट कॉज़ क्या है? अज्ञान। अज्ञान खत्म होने पर रागद्वेष जाते हैं। मल-विक्षेप खत्म हो जाते हैं। आप शुद्धात्मा हो या चंदूभाई ? यदि शुद्धात्मा हो तो आपको रागद्वेष नहीं हैं! अक्रम में ज्ञान मिलने के बाद राग-द्वेष बिल्कुल भी नहीं रहते हैं। जो दिखाई देता है, वह डिस्चार्ज है। भरे हुए माल का गलन हो रहा है क्योंकि अब हिंसक भाव नहीं रहा और तांता (तंत) भी नहीं रहा! राग कॉज़ेज हैं और अनुराग व आसक्ति इफेक्ट हैं। इफेक्ट को नहीं लेकिन कॉज़ेज को बंद करना है। ज्ञान मिलने के बाद कैसा रहता है? बच्चों पर जो राग रहता है, वह क्या है? ऐसा रहता है या नहीं रहता? रहता है। वह किस के जैसा है? जैसे कि चुंबक के सामने आलपिन हो तो चुंबक को घुमाने से आलपिनें हिल जाती हैं या नहीं हिलती? क्या उन आलपिनों को आसक्ति है ? नहीं, वह चुंबक का गुण है। उसी प्रकार अपने शरीर में भी इलेक्ट्रिसिटी से चुंबकीय गुण उत्पन्न होता है। वह अपने जैसे परमाणुओं को खींचता है। इसलिए ऐसा देखने को मिलता है कि पागल बहू से बनती है और अक्लमंद बहू से नहीं बनती। 24
SR No.034041
Book TitleAptvani 13 Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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