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________________ १३२ आप्तवाणी-१३ (उत्तरार्ध) यह तो शादी करके एक स्त्री को लाया और अगर वह काली हो तब दूसरी किसी गोरी स्त्री पर उसे राग हो ही जाता है। अरे तेरी पत्नी है न! तब कहता है, लेकिन गोरी नहीं है न!' अगर गोरी स्त्रियाँ बिल्कुल होती ही नहीं तो राग होता क्या उसे? प्रश्नकर्ता : नहीं होता। दादाश्री : बस, मुख्य कारण द्वेष ही है। स्त्री की ज़रूरत है, ये इन्द्रियाँ ऐसी हैं कि जब तक ज्ञान नहीं हो जाए तो उसे स्त्री की, सभी चीज़ों की ज़रूरत रहती है। प्रश्नकर्ता : ज्ञान होने के बाद ज़रूरत नहीं रहती? दादाश्री : ज्ञान होने के बाद में फिर ज़रूरत नहीं रहती। अतः सिर्फ स्त्री के प्रति होने वाला विषय-विकार रुक जाता है। बाकी सब, खाने-पीने की तो ज़रूरत पड़ती है अंत तक, देह जीवित है तब तक। बच्चे पूर्व जन्म के द्वेष का परिणाम यदि तुझे पत्नी व बच्चों के प्रति द्वेष नहीं होगा तो राग उत्पन्न ही नहीं होगा। प्रश्नकर्ता : वह किस प्रकार से? जो चीज़ पसंद हो, जिस पर राग हो, उसके प्रति द्वेष हो सकता है? दादाश्री : द्वेष ही है, तभी राग होता है न! द्वेष के बिना राग नहीं हो सकता। प्रश्नकर्ता : क्या ऐसा है कि पहले द्वेष होता है? दादाश्री : द्वेष के बिना राग हो ही नहीं सकता। राग में से द्वेष और द्वेष में से राग। बच्चे को जब दवाई पिलाने लगें तब अगर वह यों फूंक मारकर हमारी आँखों में डाल दे तो? प्रश्नकर्ता : तो द्वेष होता है।
SR No.034041
Book TitleAptvani 13 Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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