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________________ [१] प्रज्ञा ५१ के अधीन रहकर सामने वाले को हाथ लग जाए तो आपको कहना चाहिए कि 'चंदूभाई अतिक्रमण किया, इसका प्रतिक्रमण करो', बस। उससे फिर वो सेफसाइड रहती है। उसे अगर कोई छोटा-मोटा दुःख हो जाए तो हर्ज नहीं है, लेकिन प्रतिक्रमण कर लेने के बाद हमें कोई लेनादेना नहीं रहेगा। प्रश्नकर्ता : फाइलों का निकाल कौन करता है? दादाश्री : वह प्रज्ञाशक्ति है। वही सचेत करती है, सभी कुछ वही करती है। फाइलों का निकाल वगैरह सबकुछ वही करती है। प्रश्नकर्ता : तो फिर चंदूभाई भी फाइल है न, इसीलिए मन में शंका हुई। इसीलिए मैंने पूछा। वर्ना क्या ऐसा नहीं है कि चंदूभाई सभी फाइलों को देखते हैं? दादाश्री : ऐसा हो ही नहीं सकता न! चंदूभाई को लेना-देना नहीं है। फाइलों का निकाल प्रज्ञाशक्ति करती रहती है और सावधान भी करती है। कुछ भूल हो जाए न तो सचेत करती है। चंदभाई सचेत नहीं करते। चंदूभाई तो भूल वाले हैं, आत्मा भी सचेत नहीं करता। आत्मा सचेत करने का धंधा नहीं करता। अतः यह सब काम प्रज्ञाशक्ति ही कर रही है। अर्थात् प्रज्ञाशक्ति फाइलों का समभाव से निकाल करती है। निश्चय, अज्ञा-प्रज्ञा के प्रश्नकर्ता : निश्चय कौन करता है? यह फाइल नंबर वन निश्चय करती है? दादाश्री : आपको ही करना है! आपको खुद को निश्चय करना है। प्रश्नकर्ता : अर्थात् शुद्धात्मा निश्चय करता है? दादाश्री : नहीं, नहीं, शुद्धात्मा नहीं, उसकी प्रज्ञाशक्ति। प्रज्ञाशक्ति निश्चय करवाए बगैर रहती ही नहीं। यह तो ज्ञान मिलते ही निश्चय कर ही लेती है।
SR No.034041
Book TitleAptvani 13 Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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