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________________ आप्तवाणी - १३ (उत्तरार्ध) आदत पड़ जाएगी। हमें वह फिल्म देखने की ज़रूरत नहीं है । फिल्म देखनी हो तो थिएटर में जाकर न देख लें ? फिल्म तो खत्म हो जाती है तीन घंटों में, जबकि यह तो जाएगी ही नहीं अपने पास से। नहीं ? समभाव से निकाल में प्रज्ञा का रोल प्रश्नकर्ता : प्रज्ञाशक्ति का एक नंबर की फाइल पर कंट्रोल है या दादाश्री : नहीं ! नो कंट्रोल । प्रश्नकर्ता : अब मैं कहूँ कि 'चंदूभाई, आप ज़रा इसमें ठीक से ध्यान रखो'। अब चंदूभाई से यह किसने कहा ? उस समय जो व्यवहार क्रिया होती है, वह बुद्धि की है या अहंकार की है या फिर प्रज्ञा की है ? दादाश्री : व्यवहार क्रिया बुद्धि और अहंकार दोनों की है। प्रश्नकर्ता : उसमें प्रज्ञा है क्या ? दादाश्री : प्रज्ञा नहीं है । प्रज्ञा तो, जो ऐसा बताती है कि समभाव से निकाल करना है, वह प्रज्ञा है। प्रश्नकर्ता : लेकिन बुद्धि और अहंकार, उसमें जब ये दोनों भाग लेते हैं तब तो फिर वह क्रिया व्यवस्थित के अधीन रहकर हुई न ? दादाश्री : व्यवस्थित के अधीन ही है, आपकी कोई जोखिमदारी नहीं है। प्रश्नकर्ता : जब 'मैं' चंदूभाई से कुछ कहता हूँ, तब तो फिर 'मैं' अर्थात् प्रज्ञा ही कहती है न चंदूभाई से ? दादाश्री : हाँ, वह प्रज्ञा ही कहती है । 'मैं' प्रज्ञा ही है । प्रश्नकर्ता : उसके बाद बाकी की क्रिया क्या व्यवस्थित के अधीन होती है ? दादाश्री : हाँ, व्यवस्थित के अधीन है लेकिन अगर व्यवस्थित
SR No.034041
Book TitleAptvani 13 Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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