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________________ एडजस्ट एवरीव्हेर होने के लिए, ज्ञानीपुरुष किस प्रकार सभी जगह एडजस्ट होकर चलते हैं, उसका निरीक्षण करने से एडजस्ट होना आ जाता है। और जो एवरीव्हेर एडजस्ट होना सीख गया, वह संसार से पार उतर गया। फरियाद करने के बजाय 'एडजस्ट' हो जाना उत्तम है। अपनी 'लाइट' अधिक हो तो उसे डिम करके, डिम लाइटवाले के साथ एडजस्ट हो जाना चाहिए। मतभेद टालने के लिए ज्ञानीपुरुष चाबी देते हैं कि, "हम सब एक हैं और हममें कोई जुदाई नहीं है" हररोज़ सुबह उठकर पाँच बार इतना बोलना चाहिए तो एक दिन ऐसा समय आकर रहेगा कि किसी के साथ मतभेद ही नहीं रहेगा। अपनी एकता में कोई दरार डालने आ ही कैसे सकता है ? वही है घालमेलिया (तोड़फोड़ करने वाला, गड़बड़, प्रपंची)। उसे घुसने ही क्यों दें? कच्चे कान के होने से कैसे चलेगा? यदि किसी के बीच संबंध टूट रहा हो, तो वहाँ पर हमेशा ही 'वेल्डिंग' कर देनी चाहिए। खुद तकलीफ उठाकर भी सामनेवाले के लिए 'वेल्डिंग' कर देना, वह बहुत उच्च प्रकार का गुण कहलाता है। इस काल में वेल्डिंग करने वाला मार खाता है। दो लोगों के बीच वेल्डिंग कर दिया और वे दोनों एक हो गए, तब भी वेल्डिंग करवानेवाले के हिस्से में तो नुकसान ही है! ऐसी मार पड़ती है इसलिए वेल्डिंग करने वाला पीछे हट जाता है। लेकिन जिसे आत्मा का सुधारना है, उसे तो मार खाकर भी वेल्डिंग करनी चाहिए। वेल्डिंग करना नहीं आए, तब भी मन में ऐसा भाव रख छोड़ना चाहिए कि 'वेल्डिंग करनी है।' लेकिन ऐसा दुर्भाव तो रखना ही नहीं चाहिए कि 'ये बिछड़ जाएँ तो अच्छा।' फ्रेक्चर करवानेवाले जगह-जगह मिल जाएँगे, लेकिन वेल्डिंग करवाने वाला तो कोई विरला ही मिलेगा। 23
SR No.034040
Book TitleAptvani 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages542
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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