SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 100
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 98 अहिंसा दर्शन दलाई लामा और अहिंसा परम पावन दलाई लामा, बौद्धधर्म के प्रमुख गुरु हैं। उनका जन्म 06 जुलाई, 1935 को एक कृषक परिवार में हुआ था। बाल्यावस्था से ही आप अहिंसा और अध्यात्म के उपासक रहे। आपकी छह वर्ष की अवस्था से ही तिब्बती बौद्ध भिक्षु के रूप में शिक्षा-दीक्षा हुई। पच्चीस वर्ष की आयु में आपने गेशे लाहरम्पा (पीएच.डी.) की उपाधि प्राप्त की थी। जब चीनी सत्ता ने तिब्बत पर आक्रमण की धमकी दी थी, उसी समय अपने लोगों के आग्रह पर 16 वर्ष की आयु में वे राजनैतिक शासन तथा शक्ति की बागडोर सम्भालने पर बाध्य हुए। नोरवेजियन नोबेल कमेटी ने 1989 का नोबेल शान्ति पुरस्कार, तिब्बती लोगों के धार्मिक और राजनैतिक अगुआ तेनसिंग ग्यात्सो 14वें दलाई लामा को देने का निर्णय किया। कमेटी ने इस बात पर बल दिया कि तिब्बत के स्वतन्त्रता संघर्ष में दलाई लामा ने लगातार हिंसा के प्रयोग का विरोध किया है। हिंसा के स्थान पर वह अपने लोगों की ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक धरोहर को बचाए रखने में शान्तिपूर्ण उपायों के अधिवक्ता रहे हैं। दलाई लामा ने शान्ति का यह दर्शन सभी सत्त्वों के प्रति सम्मान की भावना, मानवता व प्रकृति के प्रति सार्वभौमिक उत्तरदायित्व की भावना को लेकर विकसित किया है। कमेटी के अनुसार दलाई लामा ने आन्तरिक संघर्षों, मानवीय अधिकार के प्रश्नों और विश्वस्तरीय पर्यावरण की समस्या के लिए रचनात्मक तथा प्रगतिशील सुझाव रखे हैं। अहिंसा और शान्ति-विषयक उनके प्रमुख विचारसूत्र निम्न प्रकार (1) बोधिचित्ताभ्यासी के लिए द्वेष और क्रोध सबसे बड़ी बाधा है। बोधिसत्त्वों में कभी भी घृणाभावना का जन्म नहीं होना चाहिए, बल्कि उन्हें उसका विरोध करना चाहिए। इसकी प्राप्ति के लिए सहिष्णुता या शान्ति का अभ्यास बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।
SR No.034026
Book TitleAhimsa Darshan Ek Anuchintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnekant Jain
PublisherLal Bahaddur Shastri Rashtriya Sanskrit Vidyapitham
Publication Year2012
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy