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________________ ____चरवाहा बोला–महाराज! जैसे हम लोग मिठाई खाते हैं व मिठाई के बाद मुंह अच्छा नहीं होता । तब चरका खाते हैं, भुजिया-पापड़ आदि खाते हैं। वैसे ही ये बकरियां मिठाई खाकर आई हैं और अब ये र भुजिया-पापड़ खा रही हैं। ये सूखे कांटे इनके लिए भुजिया-पापड़ हैं।' जिसमें जिसका मन लग गया, उसके लिए वही अच्छा है। इसलिए यह नियम नहीं बनाया जा सकता कि कौनसी वस्तु मीठी है। करेले का शाक आता है। कुछ लोग उसे बहुत रुचि के साथ खाते हैं और कुछ लोग करेले के शाक को मुंह में डालना भी पसंद नहीं करते, उन्हें कड़वा लगता है। यह स्पष्ट तथ्य है-जिसका मन जहां लग गया उसके लिए वही मीठा है और वह उसी की खोज में रहता है। जम्बूकुमार ने पूछा-'प्रभव! यहां क्यों आये?' 'कुमार! हमारा एक ही काम है चोरी करना, धन को बटोरना। हमारा ध्यान उसमें सबसे ज्यादा रहता है। उसमें इतनी मिठास है कि उसे छोड़ नहीं पाते। धन का पता लगते ही और सब काम छूट जाते हैं।' 'कुमार! मैं चोर पल्ली में बैठा रहता हूं। हमारे गुप्तचर चारों ओर घूमते रहते हैं, पता लगाते रहते हैं कि आज कहां धन का भंडार है और कहां हमें चोरी करनी है। एक दिन मेरा गुप्तचर आया, बोला-स्वामिन् ! आज राजगृह में एक चर्चा सुनी।' ____ मैंने पूछा-'क्या?' उसने बताया-'जम्बूकुमार नाम का एक श्रेष्ठी पुत्र है। उसका विवाह हो रहा है। मैंने ऐसा सुना है कि विवाह में भारी दहेज दिया जा रहा है। कहते हैं 66 करोड़ सौनेया का दहेज दिया जाएगा। भारी धनराशि आ रही है। इतनी विशाल धनराशि है कि एक दिन चोरी करने के बाद वर्षों तक कोई गाथा अपेक्षा ही नहीं रहेगी। हमारे पास इतना धन हो जायेगा और हमारी शक्ति बहुत बढ़ जायेगी।' _ 'कुमार! गुप्तचर के द्वारा जो सूचना मिली, उसकी खोज करवाई तो बात प्रामाणिक निकली। मैंने आदेश दिया-आज हम पांच सौ चोरों के साथ चलेंगे। वहां चार-पांच चोरों से क्या होगा? इतना धन आ हा है तो उसे गांठों में बांधकर लाना भी मुश्किल पड़ेगा। हमने पूरी सज्जा के साथ एक सेनावाहिनी बना ली। चोरी के लिए निकले। रात्रि का समय। हम नियत समय आपके घर आ गये। हमने देखा कि लोग बोल हे हैं, बातचीत हो रही है। मैं दरवाजे पर आया और मैंने अवस्वापिनी विद्या का प्रयोग किया। जैसे ही इस वेद्या का प्रयोग किया, बातचीत बंद हो गई और सब एकदम गहरी नींद में सो गये। दो मिनट में चारों ओर गांति हो गई। कोई प्रकंपन नहीं, कोई हलचल नहीं।' ___ आजकल लोग नींद की गोलियां बहुत लेते हैं। इस युग में अनिद्रा की बीमारी बहुत बढ़ी है। अगर पवस्वापिनी विद्या का प्रयोग कर दें तो नींद की गोलियां छूट जाएं। समाचार-पत्रों में पढ़ा-प्रतिवर्ष अरबोंरबों रुपयों की नींद की गोलियां बिकती हैं। न जाने कितने लोग नींद की गोलियां लेते हैं। उनसे नुकसान । होता है पर क्या करें? कोई उपाय नहीं है। यदि अवस्वापिनी विद्या का ज्ञान हो तो कोई गोली की रूरत ही न रहे। प्रभव ने कहा-'कुमार! सब सो गये। हम घर में घुसे। मैंने तालोद्घाटिनी विद्या का प्रयोग किया। लोद्घाटिनी विद्या का प्रयोग करते ही सब ताले टूट गये। अब कोई कठिनाई नहीं रही। इधर तो सब लोग ए हुए हैं और उधर सब ताले टूटे हुए हैं। अब मैंने आदेश दिया-शीघ्रता करो। हीरे-जवाहरात, सोने, परम विजय की
SR No.034025
Book TitleGatha Param Vijay Ki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2010
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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