SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 291
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ MY JU B गाथा परम विजय की विद्वानों की एक संगोष्ठी हो रही थी। संगोष्ठी में अनेक विद्वान उपस्थित थे। जब विद्वान मिलते हैं तब अनेक विषयों पर चर्चा होती है। चर्चा के मध्य प्रसंग आ गया कि मीठा क्या है? मिठास किसमें है? एक बोला-दधि मधुरं दही मीठा होता है। यह उसका अपना अनुभव था। दूसरा बोला-कैसी बात करते हो ? दही तो बहुत खट्टा भी हो जाता है । मधु मधुरं - शहद बहुत मीठा होता है। दही उसकी तुलना में कहां टिकता है ? तीसरा बोला- द्राक्षा मधुरा दाख इससे भी ज्यादा मीठी होती है, अंगूर भी बहुत मीठे होते हैं। चौथा बोला- अंगूर भी खट्टे होते हैं। 'शर्करा मधुरा' अर्थात् चीनी बहुत मीठी होती है। दधि मधुरं मधु मधुरं, द्राक्षा मधुरा च शर्करा मधुरा । तस्य तदेव हि मधुरं, यस्य मनो यत्र संलग्नम् । अलग-अलग मत आए। मत का कहीं अंत नहीं आता । उनमें एक बहुत अनुभवी विद्वान था, वह बोला - कितने नाम गिनाओगे? दुनिया में बहुत चीजें मधुर हैं। इन सब विवादों को छोड़ो, एक नियम मान्य कर लो - तस्य तदेव हि मधुरं यस्य मनो यत्र संलग्नम् | जिसका मन जहां लग गया, वही उसके लिए मीठा है। किसी का मन दही में लग गया तो उसके लिए दही मीठा है। शहद में लग गया तो शहद मीठा है। चीनी में लग गया तो चीनी मीठी है। किसी का मन बालू रेत, धूल में लग गया तो वह भी मीठी है। जब एक बच्चा धूल को खाता है तो वह खराब जानकर नहीं खाता। उसे बालू में भी स्वाद आता है इसलिए वह सब चीजों को छोड़कर धूल को फांकने लग जाता है। वि. सं. २०२० की घटना है। पूज्य गुरुदेव का लाडनूं में चातुर्मास था । हम लोग सुबह -सायं बाहर बहुत दूर पंचमी के लिए जाते थे। एक दिन शाम को लौट रहे थे। हमने देखा - कुछ बकरियां बाड़ पर खड़ी हैं और बाड़ के कांटों को चबा रही हैं। बड़ा आश्चर्य हुआ । हमने उन चरवाहों से पूछा- 'भाई ! अभी तो चौमासे का समय है, भादवे का महीना है । इतनी हरीभरी घास बकरियां चरकर आईं हैं फिर ये बाड़ क्यों खाती हैं?' २६३
SR No.034025
Book TitleGatha Param Vijay Ki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2010
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy