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________________ हैं. इसी के अनुरूप हिन्दू धर्म के भक्ति भाव से मुस्लिम वर्ग प्रभावित था मुग़ल काल के कवि रसखान की एक सुंदर कविता है । इसी के अनुरूप मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं गोकुल गाँव के ग्वालन | जो पसु हौं तो कहा बसु मेरो चरौं नित नन्द की धेनु मंझारन | पाहन हौं तो वही गिरि को जो धरयो कर छत्र पुरन्दर धारन। जो खग हौं बसेरो करौं मिल कालिन्दी-कूल-कदम्ब की डारन ।। बादशाह अकबर संस्कृत में नहीं कुछ व्यक्तिगत धार्मिक खोज के रूप में अपने साम्राज्य में अपनी राजनीतिक संयोजक के लिए दिलचस्पी थी अकबर पूर्वजों के बारे में थोड़ा जान लेना जरूरी है. विन्सेंट स्मिथ ने किताब यहाँ से शुरू की कि “अकबर भारत में एक विदेशी था. उसकी नसों में एक बूँद खून भी भारतीय नहीं था.... अकबर मुग़ल से ज्यादा एक तुर्क था" अकबर के सभी पूर्वज बाबर, हुमायूं, से लेकर तैमूर तक सब भारत में लूट, बलात्कार, धर्म परिवर्तन, मंदिर विध्वंस, आदि कामों में लगे रहे । अबुल फज़ल ने बादशाह अकबर के हरम के बारे में जाओ जानकारी दी है वह बहुत मार्मिक है“अकबर के हरम में एक से एक सुंदर पांच हजार औरतें थीं और हर एक ओरत का अपना अलग घर था." ये पांच हजार औरतें उसकी ३६ पत्नियों से अलग थीं. "शहंशाह के महल के पास ही एक शराब खाना बनाया गया था वहाँ इतनी वेश्याएं इकट्ठी हो जाती थी कि उनकी गिनती करनी भी मुश्किल थी । यहाँ से दरबारी अपनी पसंद के अनुसार इन नर्तकियों को अपने घर ले जाते थे. अगर कोई दरबारी किसी नयी लड़की को घर ले जाना चाहे तो उसको अकबर से आज्ञा लेनी पड़ती थी. कई बार दरबारीयों में नर्तकियों पसंद के लिए लड़ाई झगडा भी हो जाता था. । कहाँ से आती थी ? और यह यहाँ सवाल यह पैदा होता है कि ये वेश्याएं इतनी बड़ी संख्य ओरते कौन थीं? आप सब जानते हैं कि इस्लाम में स्त्रियाँ परदे जैसे नेक मुसलमान को इतना तो ख्याल होगा ही कि मुसलमान औरतों से वेश्यावृत्ति कराना में रहती हैं, और फिर अकबर
SR No.034017
Book TitleJain Dharm Itihas Par Mugal Kal Prabhav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherUnknown
Publication Year2017
Total Pages21
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size499 KB
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