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________________ Comment [vai]: गलत है. तो अब यह सोचना कठिन नहीं है कि ये स्त्रियां कौन थीं. । वास्तव ये वो स्त्रियाँ थीं जो लूट के माल में अल्लाह द्वारा मोमिनों के भोगने के लिए दी जाती थी , अर्थात हिन्दू काफिरों की हत्या करके उनकी लड़कियां, पत्नियाँ आदि. अकबर की सेनाओं के हाथ युद्ध में जो भी हिंदू स्त्रियाँ उनके हाथ लगती थीं , ये उसी की भीड़ मदिरालय में इक्कठी होती थी.और "जब भी कभी कोई रानी , दरबारियों की पत्नियाँ, या नयी लडकियां शहंशाह की सेवा में जाना चाहती थी तो पहले उसे अपना आवेदन पत्र हरम प्रबंधक के पास भेजना पड़ता था. फिर यह पत्र महल के अधिकारियों तक पहुँचता था और फिर जाकर उन्हें हरम के अंदर जाने दिया जाता अब यहाँ देखना चाहिए कि चाटुकार अबुल फजल भी इस बात को छुपा नहीं सका कि अकबर अपने हरम में दरबारियों, राजाओं और लड़कियों तक को भी महीने के लिए रख लेता था. पूरी प्रक्रिया को संवैधानिक बनाने के लिए इस धूर्त चाटुकार ने चाल चली है कि स्त्रियाँ खुद अकबर की सेवा में पत्र भेज कर जाती थीं! इस मूर्ख को इतनी बुद्धि भी नहीं थी कि ऐसी कौन सी स्त्री होगी जो पति के सामने ही खुल्लम खुल्ला किसी और पुरुष की सेवा में जाने का आवेदन पत्र दे दे ? वास्तिवकता यह है कि अकबर महान खुद ही आदेश देकर जबरदस्ती किसी को भी सुंदर ओरत को अपने हरम में रख उसका एक महीने तक सतीत्व नष्ट करता था. रणथंभोर की संधि में अकबर महान की पहली शर्त यह थी कि राजपूत अपनी स्त्रियों की डोलियों को अकबर के शाही हरम के लिए रवाना कर दें यदि वे अपने सिपाही वापस चाहते हैं. । बैरम खान जो अकबर के पिता तुल्य और संरक्षक था , उसकी हत्या करके इसने उसकी पत्नी अर्थात अपनी माता के तुल्य स्त्री से शादी की . बादशाह अकबर अपनी रखैलों को अपने दरबारियों में बाँट देता था . औरतों को एक वस्तु की तरह बांटना और खरीदना अकबर महान बखूबी करता था. मीना बाजार जो हर नए साल की पहली शाम को लगता था, इसमें सब स्त्रियों को सज धज कर आने के आदेश दिए जाते थे और फिर अकबर महान उनमें से किसी को चुन लेते थे. भारत में पिछले तेरह सौ सालों से इस्लाम मजहब के मानने वालों ने लगातार आक्रमण किये. मुहम्मद बिन कासिम और उसके बाद आने वाले गाजियों ने एक के बाद एक हमला करके, यहाँ लूटमार, बलात्कार, नरसंहार और इन सबसे बढ़कर यहाँ रहने वाले काफिरों को अल्लाह और उसके रसूल की इच्छानुसार मुसलमान बनाने का निस्ट काम किया. | आज के अफगानिस्तान तक पश्चिम में फैला उस समय का भारत धीरे धीरे इस्लाम के शिकंजे में आने लगा. I आज के
SR No.034017
Book TitleJain Dharm Itihas Par Mugal Kal Prabhav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherUnknown
Publication Year2017
Total Pages21
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size499 KB
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