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________________ शिक्षाप्रद कहानिया 167 और दूसरे से बाहर निकाल दो। तथा जब कोई अच्छी लाभकारी अथवा गुणवर्धक बात बतायी जा रही हो तो मन लगाकर दोनों कानों से वह बात सुननी चाहिए। और उसको अपने मन में बैठा लेना चाहिए, इसीलिए तुम दोनों की बात ठीक है।' बच्चे बहुत खुश हो गए। ७८. पढ़ने का चश्मा एक गाँव में एक किसान रहता था। एक दिन सुबह-सुबह वह अपनी जमीन के जरुरी कागजात ले करके वकील साहब के पास गया। वकील साहब सुबह की सैर करके आए थे। किसान ने वकील साहब को नमस्कार किया और बोला- 'साहब, यह कागज मुझे पढ़कर सुना दो वकील न अपने मुनीम (मुंशी) से कहा कि पढ़ने वाला चश्मा ले आओ वह चश्मा ले आया और वकील चश्मा लगाकर के उन कागजों को पढ़ने लगा। इसी समय किसान ने सोचा कि मैं जितने पैसे वकील को कागज पढ़वाने को दूंगा, उतने पैसे में तो मैं स्वयं ही पढ़ने वाला चश्मा खरीद लूँगा। उसने तुरंत वकील साहब से कहा- आप मेरे कागज वापस कर दो, अभी मुझे कागज नहीं पढ़वाने हैं वकील ने चुपचाप कागज वापस कर दिए। अब वह किसान एक चश्मे वाली दुकान पर गया और बोलाभाई साहब! मुझे एक पढ़ने वाला चश्मा बना कर दो। दुकानदार ने एक फ्रेम में लेंस लगाकर किसान को दे दिया तथा साथ में एक पुस्तक देते हुए कहा कि लो इसको पढ़ो। किसान ने चश्मा लगाया और पढ़ने की कोशिश करने लगा, लेकिन थोड़ी देर बाद कहने लगा कि इससे तो नहीं पढ़ा जा रहा। दुकानदार ने और दो चार चश्में दिए वह किसी से नहीं पढ़ पा रहा था। आखिरकार दुकानदार ने सोचा इसको हिंदी पढ़ने नहीं आती होगी। तो उसने उर्दू की पुस्तक दी और पूछा अब पढ़ने में आ रहा है? तो किसान बोला नहीं आ रहा है। दुकानदार ने सोचा शायद अंग्रेजी आती होगी, तो उसने अंग्रेजी की पुस्तक दी और पूछा कि अब पढ़ने में आ रहा है। फिर, किसान ने कहा नहीं आ रहा है तब दुकानदार ने झुंझुलाकर पूछा कि महाराज! कितनी क्लास पढ़े हो? किसान बोला एक भी नहीं।
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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