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________________ 168 शिक्षाप्रद कहानियां ७९. लॉटरी निकलने का दुःख एक शहर में एक धनी व्यक्ति रहता था। एक दिन उसने पाँच-पाँच रूपये के लॉटरी के दो टिकट खरीदे। दो-तीन दिन के बाद लॉटरी का रिजल्ट निकला तो उसकी एक टिकट पर दस लाख रूपये का ईनाम लग गया। जैसे ही इस बात की खबर आस-पास में रहने वाले पड़ोसियों को मिली तो वे सब मिलकर उसको बधाई देने और मुँह मीठा करने के उददेश्य से उसके घर पर पहुँचे, लेकिन जैसे ही वे वहाँ पहुँचे उनको बड़ा आश्चर्य हुआ। जिस व्यक्ति को खुशी से झूमते हुए होना चाहिए था वह एकदम नितांत अकेला और उदास बैठा था। उन लोगों ने सोचा शायद अचानक कोई अनहोनी तो नहीं हो गयी। उनमें से एक-दो लोगों ने आखिर हिम्मत करके पूछ ही लिया भाई साहब! क्या बात हो गयी जो कि आप इतने दुःखी हो रहे हो? तब उसने उत्तर दिया कि उस लॉटरी के टिकट के साथ मैंने एक टिकट और भी खरीदा था, उस पर एक करोड़ का ईनाम था जो नहीं निकला इसी बात का मुझे गहरा दु:ख है। ८०. बचपन के संस्कार प्राचीन काल की बात है। एक आश्रम में पेड़ के नीचे एक गुरु जी अपने कुछ शिष्यों को पढ़ा रहे थे। उसी समय एक शिष्य आया जो कि प्रतिदिन देर से आता था और पढ़ाई में भी बहुत कमजोर था। उसे देखते ही गुरुजी बोले- अरे! न जाने कितने गधों को मैंने आदमी बना दिया, पर तू पता नहीं कब आदमी बनेगा? उसी समय एक कुम्हार अपने गधों के साथ वहाँ से गुजर रहा था। जब उसने यह बात सुनी तो मन ही मन सोचने लगा कि मेरे पास गधे बहुत हैं, लेकिन दूसरा कोई आदमी नहीं है जो मेरे काम में हाथ बँटा सके। क्यों न मैं एक गधे को गुरुजी के पास छोड़ दूँ। कुछ दिनों में गुरुजी उसे आदमी बना ही देंगे। __ ऐसा सोचकर वह कुम्हार गुरुजी के पास जाकर बोला- आप मेरे इस गधे को आदमी बना दो तो आपका बहुत ही उपकार हो। गुरुजी
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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