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________________ शिक्षाप्रद कहानियां पार्टी चल रही थी। लोग गा रहे थे, नाच रहे थे तथा खाने-पीने में खूब मस्त थे तभी कुछ लोगों ने उस व्यक्ति से पूछा कि भाई साहब! यह तो बतलाइए की पार्टी किस उपलक्ष में दी जा रही है। तो उनका उत्तर सुनकर वहाँ उपस्थित सभी लोग आश्चर्यचकित हो गए, उन्होंने कहा- मेरी जेब कट गयी है इसीलिए पार्टी का आयोजन किया जा रहा है। तब लोगों ने उनसे कहा अरे - 'यह तो दुःख की बात है और आप पार्टी का आयोजन कर रहे हो! तब उस व्यक्ति ने उत्तर दिया कि आप लोगो की बात भी ठीक है, लेकिन मेरे लिए यह प्रसन्नता का क्षण है प्रसन्नता का कारण यह है कि मेरी पैंट में दो जेबें थीं। एक जेब में पचास रूपये थे और दूसरी जेब में पचास हजार। मेरी पचास रूपये वाली ही जेब कटी है तथा पचास हजार वाली जेब बच गयी है, इसीलिए मैंने प्रसन्न होकर इस पार्टी का आयोजन किया है। इसीलिए कहा भी जाता है कि 166 नजर को बदलिए नजारे बदल जाएंगे, सोच को बदलिए सितारे बदल जाएंगे। किश्तियाँ बदलने से कोई फायदा नहीं, दिशा बदलिए किनारे बदल जाएंगे ॥ ७७. कान दो क्यों होते हैं? एक बार की बात है। दो बच्चे आपस में बात कर रहे थे। वे जानने की कोशिश कर रहे थे कि हमारे कान दो क्यों होते हैं? एक बोला- 'एक कान सुनने के लिए होता है और दूसरा सुनी हुई बात को बाहर निकालने के लिए होता है।' दूसरा बच्चा कहने लगा- 'नहीं, दोनों कान सुनने के लिए होते हैं बड़ी ही सावधानी से।' इसी बात को लेकर दोनों में झगड़ा हो गया। पहला अपनी बात पर अड़ गया और दूसरा अपनी बात पर। तभी एक सज्जन व्यक्ति आए। उन्होंने उनके झगड़े को सुना तो कहने लगा- 'तुम दोनों की ही बात ठीक है । ' बच्चे सुनकर आश्चर्यचकित हो गए और पूछने लगे- ऐसा कैसे हो सकता है? तब उस सज्जन ने कहा- 'देखो, मेरी बात ध्यानपूर्वक सुनो! जब कोई बुरी बात बताई जा रही हो तो उसे एक कान से सुनो
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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