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________________ शिक्षाप्रद कहानियाँ 165 की आवाज सुनाई दी। सेठानी ने अनुमान लगा लिया कि घर में चोर घुस आए हैं। उसने फटाफट सेठजी को आवाज लगाई - अजी ! सुनते हो, घर में चोर घुस आए हैं, जल्दी से कोई उपाय करो। सेठ जी को सुनाई तो दे गया था, लेकिन उत्तर दिया कि अरे भाग्यवान् ! जरा जोर से बोलो क्या कह रही हो, मुझे सुनाई नहीं दिया। सेठानी ने जोर से कहा कि घर में चोर घुस आए है, जल्दी से कोई उपाय करो । इसके बाद सेठजी ने ऊँची आवाज में उत्तर दिया कि- अरे भाग्यवान्! चोर घुस आए हैं तो घुस आने दो, यहाँ पर रखा ही क्या है, जो वे चोर चुरा कर ले जाएंगे? घर में कुछ है ही नहीं, घर में जितनी भी पूँजी और गहने थे वे तो मैंने पहले ही तुम्हारी काली चूनरी में बाँधकर बाहर जो पेड़ है उसकी डाल पर बाँध दिए हैं। ढूँढ़ने दो घर में कुछ नहीं है। तुम भी आराम से सो जाओ और मैं भी सोता हूँ। चोरों की संख्या चार थी। वे सब ये सारी बातें सुन रहे थे। तब एक चोर बोला- अरे मूर्खो, अब यहाँ खड़े होकर क्या कर रहे हो? चलो बाहर पेड़ पर । अंदर कुछ नहीं है। जब वे बाहर आये तो उन्होंने पेड़ की डालों को देखा। उन्हें पेड़ की एक डाल पर कुछ काली काली पोटली जैसी वस्तु दिखाई दी। वे कहने लगे अरे वह रही गठरी । एक कहने लगा- मैं उतारूँगा, दूसरा बोला- मैं, तीसरा बोला- मैं, और चौथा बोला- मैं। अब वे चारों ही एक साथ पेड़ पर चढ़ गए और जैसे ही चारों ने गठरी पर हाथ मारा उनको नानी याद आ गयी; क्योंकि वह गठरी नहीं थी मधुमक्खियों का छत्ता था। ७६. जेब कटने की पार्टी कुछ समय पहले की बात है। दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य के बंगलोर शहर में एक व्यक्ति रहता था। एक दिन उसने अपने घर पर एक शानदार पार्टी का आयोजन किया तथा अपने आस-पास के पड़ोसियों तथा रिस्तेदारों को आमंत्रित किया।
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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