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________________ इस मध्यलोक में असंख्य द्वीप समुद्रों से घिरा हुआ एक लाख योजन विस्तार वाला जम्बू द्वीप है। उसी विदेह क्षेत्र में मेरू पर्वत के पश्चिम की ओर एक बांधिल नामक देश है। उसमें एक विजयार्थ पर्वत है उसकी उत्तर श्रेणी में अलका नाम की सुन्दर नगरी है। उस समय राजा अतिबल यहां के शासक थे ये वीर, पराक्रमी, यशस्वी दयालू एवं नीतिनिपुण प्रजावत्सल | राजा थे। उनकी स्त्री का नाम मनोहरा था। कुछ समय बाद मनोहरा की कुक्षि से एक बालक | उत्पन्न हुआ। राजा अतिबल ने उसका नाम महाबल रख दिया। चतुर एवं नीतिनिपुण पुत्र को राजा ने युवराज बना दिया एवं आप बहुत निश्चिंत हो कर धर्म ध्यान करने लगे । the जैन चित्रकथा अवश्य महाराज आप निश्चित रहें । चौबीस तीर्थंकर भगवान श्री आदिनाथ जी एक दिन निमित्त पाकर महाराज अतिबल का हृदय संसार से विरक्त हो गया। बारह भावनाओं का चिन्तन कर उन्होंने जिनदीक्षा धारण करने का निश्चय कर लिया। फिर मंत्री सामन्त आदि से विचार प्रकट किया। भाग-1 चित्रांकन बनेसिंह अब युवराज महाबल सब तरह से योग्य है। मैं राज्य व्यवस्था इन्हें सौंपकर जिनदीक्षा लेना चाहता हूँ। आप मंत्री व सभी सामन्त पूर्ववत सहयोग करें। पण राजा अतिबल के साथ अनेक विद्याधरों ने भी दीक्षा ली। राजा अतिबल कठिन से कठिन तप करने लगे.........
SR No.033221
Book TitleChoubis Tirthankar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size9 MB
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