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उमराला : स्थानकवासी सम्प्रदाय मुखपट्टी एकबाधा है, के प्रतिष्ठित लोग कानजी स्वामी मैं अपने अन्तरकी से मिले,
REE मान्यतानुसारही स्वामीजी, भलेही आपल्याख्यानों में दिखना चाहताहं. कुन्दकुन्दाचार्य के ग्रन्थ पढ़ें,परन्तु ।
यह चार अंगुल की मुखयट्टी तो (15) धारण किए रहें..
सम्प्रदाय त्यागने पर रोटियां भी दुर्लभ होजायेंगी महाराज,
इस शरीरको टिकना होगा तो रोटिया मिलेगी। ही,यह सब तो पुण्याधीन है,मुझे तो कुन्दकुन्दाचार्य का मार्गही ग्रहण करना है. मेरा निर्णय अटल है.
खुशाल भाई व भाभी गंगाबैन.|| चैत्र शुक्ल ।3,वि०सं०1991मंगलवार को महावीर
| जयन्ती के शुभ दिन सोनगढ़ में मुखपट्टी का त्यागकर तुम कुन्दकुन्दाचार्यका मार्ग खुशी) भगवान पार्श्वनाथ के चित्र के सामने स्वयं को दिगम्बर) से अपनाओ. मैं जीवन भर । ब्र. अव्रती श्रावक घोषित कर दिया, तुम्हें पालने को तैयारहूं.
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