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जामनगर
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भक्ति आदि से धर्म नहीं होता, (शुभ भाव होता है.,
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रायपुर. सं०- 1984
वीर जी ने पूछा.
कर्म के जोर के कारण जीव निगोद में रहा हैन ?
अमरेली. सं0-1986
स्थानक वासी सम्प्रदाय की भरी सभा में प्रसिद्ध दिगम्बरं ग्रन्थ समयसार को पढ़ा.
श्रद्धालु सभा ने उन्हे वाचन करने से नहीं रोका.
राजकोट. सं०-1990.
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| बिछिया सं0 1987 अग्रज खुशाल भाई से
कहा.
चातुर्मास के अवसर पर
नहीं, स्वयं की भूल से जीव निगोद में रहा है.
यह मार्ग सच्चा नहीं है, मैं इसमें रहने वाला नहीं. यह • साधुपना भी सच्चा नही
छोड़ने में जल्दीबाजी मत करना.
अब मैं इस स्थानकवासी सम्प्रदाय में नहीं रहूंगा.
'अब मुँह पट्टी छोड़ कर दिगम्बर (जैन धर्म अंगीकार
करने की घोषणा कर देनी चाहिए