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कान जी स्वामी के सम्प्रदाय त्याग की सूचना आग की तरह सारे सौराष्ट्र व गुजरात में फैलगयी.
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स्थानकवासी सम्प्रदाय के लोगों ने उन्हें नाना प्रकार के प्रलोभन दिये,डराया,धमकाया परन्तु वे पर्वत की भांति अपने विचारों
पर अडिग रहे. दिगम्बर सम्प्रदाय ग्रहण करने के बाद धीरे धीरे विरोधियों की कषाय सोनगढ़ में.
शांत होने लगी.
आनेलगे
स्कान्त स्थान में टेकड़ी पर स्थित अपने अनन्य अनुयायी के टूटे फूटे मकान में गुरुदेव के दर्शनार्थ अनेक लोग
वे 3 वर्ष तक रहे. | कानजी स्वामी के आचरण व व्यवहार को देखकर तथा उनके अभूतपूर्व प्रवचनों को सुनकर अनेक लोग उनके अनुयायी बन गये.
कानजीस्वामीजो कहते है ठीक ही तो कहते है।
गये.
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और इनका आचरण भी (तो अनुसरण करने योग्य है,
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