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________________ 34] ससुराल जाते समय SUBESPOOSEISEX SEX SEXSPISEX SEXSHOCHSEXSHOOS (3) बहिनों! इस प्रकार प्रेम और सरल स्वभावसे तुम सबके साथ वर्ताव करोगी तो तुम्हारे मनकी शांतिके साथर तुम्हारे शरीरकी निरोगता भी रहेगी, तुम अनेक रोगोंसे बची रहोगी, झगडे टंटेसे ही रोग उत्पन्न होता है और फिर जीवन विषके समान दुःख स्वरूप हो जाता है। (4) मनकी शांति अर्थात् आरोग्यताके लिये मुझे कई बातें कहनी हैं। उनमें से प्रथम स्वच्छता व सुघड़ता हैं। जितनी शांति वस्त्रालंकारोंसे नहीं होती उतनी स्वच्छता व सुघड़तासे ही होती है। इतना ही नहीं किंतु वह अनेक रोगोंसे बचाती है। (5) तुम अपना शरीर, अपने कपड़े अपना घर तथा घरकी सम्पूर्ण वस्तुयें जैसे कि वर्तन वगैरह नित्य स्वच्छ रखना। बैठक व रसोईघर आदि स्थान नित्य स्वच्छ रखना। रसोई घरको चौका भी कहते है सौ इसमें द्रव्य ( भोजनसामग्री) क्षेत्र (स्थान) काल (समय) और अपने भाव इन चार बातोंकी शुद्धि होना आवश्यक हैं, तभी वह चौका कहा जा सकता है। पहिरनेके व हाथ मुंह पोंछनेके कपडे जैसे रूमाल, अंगोछे, गंजीफराक, धोती आदि नित्य धोकर स्वच्छ रखना, इसके सिवाय अन्य कपड़े चादर, कोट, कुरते आदि जो मैले हो गये हों, उनको धोबीके पास धुला लेना अथवा स्वयं धो लेना। बच्चोंको रोज नहलाना, और उन्हें धोये हुये स्वच्छ कपडे पहिराना चाहिये। (6) घरका आंगना, मंजोटा, धिनोंची, पनाला और हौज आदि अपने सामने व आप ही स्वयं साफ करना, क्योंकि इनसे बदबू फैलकर हवाको बिगाड़ देती है, जिससे बीमारी फैल जाती है। जिस प्रकार कि दस्त न आनेसे पेट साफ न होकर बेचैन हो जाती है और स्वास्थ्य बिगड जाता है उसी प्रकार घर साफ न होनेसे बिगड जाता है।
SR No.032878
Book TitleSasural Jate Samay Putriko Mataka Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipchand Varni
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages52
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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