SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पुत्रीको माताका उपदेश [33 RECEBOOSECRECEOCOCSOCIRCTCHEMICROcs (ग) बहिनों! वशीकरणका नाम तुमने सुना होगा और तुम्हारे मुंहमें इस नामसे पानी भी भर आया होगा। परंतु तुमने सुना होगा कि लोग प्रायः ऐसा कहने लगते हैं कि न मालूम इस बहूने क्या जादू कर रक्खा है। जिसके कि सासु, ससुर, जेठ, देवर, पति, ननंद आदि सासरे मात्रके सभी इसका कहना मानते हैं। यह जितना पानी पिलाती हैं, सब उतना ही पानी पीते हैं, इत्यादि। सो वह वशीकरण मंत्र, सिवाय मिष्ट भाषणके और कुछ नहीं कहा है "सबके मन हर लेत हैं, तुलसी मीठे बोल। यही मंत्र इस जानिये, वशीकरण अनमोल॥" कागा किसको धन हरे, कोयल काको देत। केवल मीठे वचन से, जग अपनी कर लेत॥ (घ) बहिनों! तुम साक्षात् प्रेमकी मूर्तियां हों, इसलिये तुम सर्वदा प्रसन्न चित रहो, ताकि सब लोग तुमसे प्रसन्न रहें। स्मरण रक्खो कि सांठा (गन्ना) बोओगी तो मीठा और नीम लगाओगी तो कडुआ रस पाओगी। बबूल बोनेसे कांटे ही फलते हैं। दर्पणमें जैसा मुंह करके देखो वैसा ही प्रतिबिम्ब दृष्टि पड़ेगा। तात्पर्य यह है कि यदि तुम प्रसन्न रहोगी तो सब प्रसन्न रहेंगे। (ङ) बेटियों! अदेखाई व ईर्षाभाव सर्वथा सदैव आरोग्यताके घातक हैं। जिस घरमें इनका प्रवेश हुवा, कि फिर उसे शत्रुकी आवश्यकता नहीं रहती है। यहां परस्पर एक दूसरेको देखकर जलती झुलसती रहती हैं और इसी प्रकार बीमार होकर प्राणोंसे हाथ धो बैठती है। इसलिये कभी भी अदेखाई नहीं करके परोदय देखकर प्रसन्न होना चाहिये।
SR No.032878
Book TitleSasural Jate Samay Putriko Mataka Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipchand Varni
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages52
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy