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________________ 32] ससुराल जाते समय LYRECREECSEOCTECREECHECRECSECREECRECSECRECR (1) बेटियो और बहिनों! ज्यों ही तुम ससुरालमें जाओं त्यों ही वहां अपने सब घरके लोगोंकी प्रवृत्ति जान लो कि किसका स्वास्थ्य किस प्रकार ठीक रह सकता है। यही सबसे पहिली बात तुम्हारे लिये होगी। परंतु ध्यान रहै कि केवल शारीरिक स्वास्थ्यसे ही आरोग्य नहीं रहता है, किंतु उसका मनसे भी घनिष्ट सम्बन्ध है, अर्थात् विना मनकी शांतिके शारीरिक आरोग्यता कदापि नहीं रह सकता हैं। (2) आरोग्य केवल औषधिसे शुद्ध खानपानसे स्वच्छ हवा प्रकाशादि और सुगंधित वस्त्रोंसे ही नहीं मिलती है किंतु नीचे लिखी बाते भी बहुत आवश्यक हैं जिनपर पूरा ध्यान रखना चाहिये। इन सबमें अधिक महत्वकी अत्यावश्यक बात यह है कि 'मनकी शांति रखना' इसीमें सब बातें समाई हैं इसीलिये इसी संबंधमें कुछ थोड़ीसी बातें नीचे लिखी जाती है। (क) अपने घरमें किसीसे कभी ऊंचे स्वर व क्रोधसे गर्व व मानसे व कटाक्ष करते हुए कपटभरे, कठिन कडुवे वचन नहीं बोलना। (ख) यदि तुमको कोई कटुक वचन क्रोध व मानके वश होकर कहे भी तो तुम उन्हें शांतिसे सुनकर अनसुने कर दो। क्योंकि अग्निको बुझानेके लिये पानी ही डाला जाता है न कि ईधन। इसलिये तुम भी उस क्रोधरूपी अग्निमें क्षमा, शांति व सहनशीलता रूपी पानी डालकर बुझा दो, और नम्र (मिष्ट) वनचरूपी वायुमें उडा दो। क्योंकि वह क्रोधाग्नि उत्तरमें कटुक वचन कहने तथा क्रोध व रोस करनेसे और भी धधकती है। यहां तक कि वह कभीर घरका घर जला डालती है। यह बड़ा भारी आरोग्यसका घातक है।
SR No.032878
Book TitleSasural Jate Samay Putriko Mataka Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipchand Varni
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages52
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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