SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 147
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 138 ] नित्य नियम पूजा करि अष्ट द्रव्यको अर्थ लेय, सब साधुनकी करिहों जु सेव मैं मन वच तनतें शीश नाय, नमि होमो शिवमगको बताय जलथल रत मग विकट मांहि, ये पंच परमगुरु शरण थाहि डायन प्रेतादि उपद्रव माहि, उन पंच परम विन को सहाय बहु जीव जपत नवकार येव, रिद्ध सिद्ध लहि संकट हरेव / सो कथन पुरान 2 मांहि, हम ताको महिमा का कहाहि / / पत्ता-ये पंच आराधे, भव दुख बांधे, शिव संपति सहजै बरई मैं मन वच गाऊं, शीश नवाऊ, मो अविचल थान धरई ॐ ह्रीं पंचपरमेष्ठि जिनेभ्यः जयमाल पूर्णाऱ्या / सोरठा- विधन विनाशनहार, मंगलकारी लोकमें / सो तुमको भी सार, पंच सकल मंगल करें / इत्याशीर्वादः। श्री शान्तिनाथ जिन पूजा। मत्तगयन्द छन्द (जमकालंकार या भवकाननमें चतरानन पापपनानन घेरी हमेरी। आतमजानन मानन ठानन बानन हो दई सठ मेरी / / तामद भानन आपहि हो, यह छानन आनन आननटेरी। आन गही शरणागतको अब श्रीएतजी पत राखहु मेरी / / ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथ जिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् / ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथ जिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं / ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथ जिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव२ वषट् /
SR No.032857
Book TitleNitya Niyam Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Pustakalay
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy