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________________ नित्य नियम पूजा [ 139 (अष्टक) छन्द त्रिभंगी। अनुप्रासक / (मात्रा 32 जगनजित) हिमगिरिगतगंगा धार अभंगा, प्रासुक संगा, भरि भृगा। जरमरन मृतंगा नाशि अघंगा, पूजि पदंगा मृदु हिंगा / / श्री शान्तिजिनेशं नुतचक्रेशं वृषचक्रेशं चक्रेशं / हनि अस्चिक्रेशं हे गुनधेशं दयामृतेशं मक्रेशे / / 13 ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथ जिनेंद्राय जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं नि वर बावनचंदन, कदलीनंदन, धनआनंदन सहित घसों। भवतापनिकंदन, ऐरानंदन, बदि अमंदन चरन वसों श्री. 2 ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथजिनेंद्राय भवतापविनाशनाय चंदनं नि। हिमकरकरि लज्जत,मलयसुसज्जत, अच्छत जज्जत भरीथारी दुखदारिद गज्जत,सदपदसज्जत भवभयभजत अतिभागी श्री &ह्रीं श्री शांतिनाथजनेंद्राय अक्षयपदप्राप्तये अक्षतान् नि / मंदार सरोज कदली जोज, पुज भरोज मलय भरं / भरि कंथनथारी, तुमढिग धारी, मदनविदारी धीरधरं श्री४. ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथजिनेंद्राय कामबाणविध्वशनाय पुष्प नि० / पकवान नवीने पावन कीने षटर सभीने सुखदाई / मनमादनहारे, क्षुधा. विदारे आगें धारै गुनगाई / श्री. 5 ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथजिनेंद्राय क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्य नि० / तुम ज्ञानप्रकाशे, भ्रमतम नाशे, ज्ञेयविकाशे सुखराशे / दीपक उजियारा, यातें धारा, मोह निवारा निजभासे श्री ॐ हीं श्री शांतिनाजिनेंद्राय मोहांधकारविनाशनाय दीप नि० चन्दन करपूरं करिवर चूर, पावक भूर माहिजुरं / तसु धूप उडावै, नाचत आवै, अलि गुजावै नधुरसुर श्री.७. ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथ जिनेंद्राय अष्टकर्मदहनाय धूप नि० स्वाहा /
SR No.032857
Book TitleNitya Niyam Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Pustakalay
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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