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________________ नित्य नियम पूजा [ 137 पद्धरि छन्द "चव घाति चूर अरिहंत नाम, पायोच्युत दोष सगुणधाम / तिनमें षटचाल जु मुख्य थाय, तिनमें दशगुण जनमत उपाय / / जय केवल ज्ञान उद्योत ठान, उपजे दशगुणको कहि बखान / चौदह गुण देवनि करत होय, तिनकी महिमा चरणे सु कोय वर अष्ट प्राविहारज संयुक्त, चामर छात्रादिक नाम युक्त / केवल दर्शन वरज्ञान पाय,सुखवीर्य अनन्त चतुष्टय पाय / / ये कहिवेके गुण हैं छिपार, गुण अनंत लखै तिनको न पार तातै करिहो करि अर्घ लेय, मोहि तारिर अरिहंत देव / / वसुविधिहरि वसुभू बसे सिद्ध,बसुगुण आदेिक लहि अत्यन्तरिद्ध पूजू मन वच तन अर्घ ल्याय, मोकू तुम थानकमें बसाय / / * वर द्वादश तप दश धर्म मेव, षट् आवास पंचाचार येव / त्रय गुप्ति सुगुन छत्तीसपाय, सब संघ ज्येष्ठ गुरु सरिथाय / बहु जीवन वृषको मग बताय, शिव संपति दिनी स मुनिराय पूजू मन वच तन अर्घ लेय, मोकू अजरामर पद करेय / / वर ग्यारह अंगरु चौद पूर्व, पढ उपाध्याय पद लहिये पूर्व तिनके पद पूजत अर्घ लाय, सब भ्रम नाशन जिन ज्ञानपाय गुण मूल अष्टविंशति अनूप, धरि हैं सब साधु तु शिव स्वरूप व्रत पंचसमिति पणइन्द्र रोध, षट् आवास भूमि सुशयन सोध तजि स्नान वसन कचलौंच ठानि,लघु भोजन ठाढे करत आन / त्यागे दातुन ये अष्टवीस, धरि साधे शिव तिन नमत शीस
SR No.032857
Book TitleNitya Niyam Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Pustakalay
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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