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________________ पुराण 77 मंत्रिपरिषद की नियुक्ति होती थी। मन्त्रियों को राज्य के चार मूलभूत स्थिर स्तम्भ माना गया है | नये राजा की नियुक्ति एंव राज्य कार्य संचालन का भार मंत्रियों पर होता था। विलासिता प्रिय राजाओं द्वारा राज्यभार मंत्रियों पर सोंपने के उल्लेख मिलते हैं।११। मंत्रियों की संख्या आवश्यकतानुसार निश्चित की जाती थी। महामात्य, सचिव, राज्यवृद्ध, बुद्धि सचिव, कार्य सचिव इत्यादि शब्द मंत्रियों के लिए प्रयुक्त होते रहे हैं।१२ | राज्य एंव राजा के हित साधन में लगे रहना एंव राजकीय कार्यो में राजा के साथ विचार विमर्श करना मंत्रियों के कर्तव्य थे११३ | रावण के मंत्रिमंडल का उल्लेख प्राप्त होता है११४ | नीतिवाक्यामृत में मंत्रियों के विरुद्ध जाने वाले राजाओं के विनाश की बात कही गयी है११५ | राजनैतिक विभाजन छठी शताब्दी से भारत में एक केन्द्रीय शक्ति का अभाव रहने लगा। पुराणों में माण्डलिक१६, मण्डलेश्वर 17. सामन्त- राजाओं का उल्लेख मिलता है। आदिपुराण से मण्डल से पृथक राजधानी, दोणमुखा एंव खर्पट आदि विभाजन की जानकारी होती है११६ | राजधानी में आठ सौ, द्रोणमुखा में चार सौ एंव खांट में दो सौ ग्रामों की स्थिति मान्य की गयी है। शासन की सबसे छोटी इक्काई गॉव थी : दस गॉवों के बीच एक बड़े गॉव की कल्पना की गयी है जिसे “संग्रह" की संज्ञा से अभिहित किया जा सकता है।२० / पुराणों में वर्णित राजनैतिक स्थिति राज्यमन्त्र शासन प्रणाली की ओर संकेत करती है। कर व्यवस्था ... पुराणों में राजा द्वारा न्यायपूर्वक एंव व्यावहारिक कर लेने की जानकारी होती सैन्य व्यवस्था राज्य को सुव्यवस्थित रुप से बनाये रखने के लिए राज्य के सप्तांगाों में . प्रबल सेना का होना आवश्यक बताया गया है। पुराणों में चतुरंगिणी सेना१२२ (रथ, अश्व, हाथी, पैदल) एंव अक्षोहिणी सेना के उल्लेख मिलते हैं"२३ चक्रवर्ती भरत की दिग्विजय यात्रा में सबसे आगे पदाति, फिर अश्व तत्पश्चात् रथ एंव हाथियों की सेना के चलने की जानकारी होती है१२४ | चतुरंगिणी सेना के उल्लेख सांची एंव भरहुत की उकेरियों में भी प्राप्त होते हैं। आदिपुराण में महाराज वज्र दन्त की षंडाग सेना का उल्लेख मिलता है जिसमें हाथी, घोड़ा, रथ, पदाति, देव एंव विद्याधरों की सेना को सम्मिलित किया गया है।२५ | पद्मपुराण में भी राजा इन्द्र रावण के साथ अपनी
SR No.032855
Book TitleJain Sahitya ka Samajshastriya Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUsha Agarwal
PublisherClassical Publishing Company
Publication Year2002
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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