SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 683
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कल्यौ स्वो भगवन्योद्धुम् ] श्लोकपादसूची [कविभिः संभृतं मधु कल्यौ स्वो भगवन्यो(म् 1. 216. 27. कवचस्य विमोक्षणम् 7. 126. 32. कवचं कुण्डले तथा 1. App. 60. b post. कवचं गृह्य भास्वरम् 7.69.624. कवचं च ध्वजश्चैव 8. 50. 15". कवचं च महाद्युतिः 1. 104.180. कवचं च महाप्रभम् 7. 150. 10%. कवचं च महाबाहो 2. 392*. 2 pr. कवचं च महाभुज 5. 180. 2. कवचं च सहाङ्गजम् 1. App. 43. 34 post. कवचं चास्य संक्रुद्धः 7. 140. 380. कवचं चैव कीदृशम् 3. 287. 14. कवचं चैव भिक्षितुम् 3. 284. 14. कवचं चैव मामकम् 1. App. 59. 5 post. कवचं चैव यादृशम् 3. 287. 36. कवचं तन्महात्मनः 7. 140. 39. कवचं तप्तकाञ्चनम् 4. 30. 10. कवचं तव पार्थिव 7. 69. 69. कवचं धुन्वतस्तुभ्यं 7. App. 13. 24 pr. कवचं भीमसेनस्य 7. 111. 12deg. कवचं यस्य दृश्यते 4.50. 20deg. कवचं रुधिरस्रवम् 1. 104. 19deg. कवचं वेदमातरः 5. 180. 4'. कवचात्काय आबभौ 4. 52. 14. कवचानाहर क्षिप्रं 1. 2060*.2 pr. कवचानां च भूतले 6. 51. 30. कवचानां च सर्वशः 1. 96. 16. कवचानां ध्वजानां च 6. 3. 21. कवचानां प्रभाभिश्च 9. 8. 16. कवचानां प्रभास्तत्र 7. 100. 20%. कवचानां महात्मनाम् 4.57.76. कवचानां विचित्राणां 6. 68. 18%. कवचानि च शस्त्राणि 8. 24. 104. कवचानि बृहन्ति च 1. 212. 176. कवचानि मनस्विनः 1. 26. 416. कवचानि महारथाः 3. 233. 24. कवचानि महार्हाणि 2. 468*. 1 pr. कवचानि विचित्राणि 4. 30. 20, 24deg. 11.71*. 1 pr. कवचान्यथ चर्माणि 6. 50.540. कवचाम्यवदीर्यन्ते 6. 108. 260. कवचान्यायुधानि च 2. 61. 3. कवची कुण्डलीति च 3. 290. 13. कवची तिष्ठ दारुक 7.56.35d. कवची दंशितो बली 7.771*. 2 post. कवची निषङ्गी पाशी 1. App. 41. 23 pr. 8. 62. 2". कवची निषङ्गी पाशी च 1. 108. 11. कवची बद्धनिस्त्रिंशः 1. 1006*. 6 pr. 12. 59. 105". कवची शुभकुण्डली 7. 102. 54". कवची सतलत्राणः 3. 38. 16. कवची समलंकृतः 7. 87. 63. कवची स शरासनी 8. 24. 39. कवची स शरी खड्गी 7. 86. 49deg ; 148. 38". कवचे तव शक्ष्यसि 7. 69. 374. कवचेन च भास्वता 11. 19. 21. कवचेन च संयुक्तः 3. 284. 19". कवचेन तथा युक्तः 7. 170. 33. कवचेन महाहेण 4.35. 19. कवचेन वपुष्मता 5. 179. 124. कवचेन विहीनश्च 7. 1247*.2 pr. कवचेन समावृतः 7. 65.6. कवचेन सहैव च 7. 106. 15. कवचेन सुवर्चसा 3. 172.59. 7. App. 9.7 post. कवचेनापि रक्षितम् 7.78. 184. कवचेनोपसूचितम् 3. 292. 154. कवचेषु ध्वजेषु च 1. 212. 19. कवचेषु भुजेषु च 7. 161. 184. कवचेषु शरीरिणाम् 6. 88. 27deg. कवचैश्च तथा दीप्तैः 7. App. 21. 18 pr. कवचैश्च हिरण्मयैः 7. 73. 254. कवचैः शोणितादिग्धैः 6. 92. 61". कवचोदुपसंयुक्तां 7. 13. 10deg. कवचोपहितैर्गात्रैः 6. 66. 9". कवचोर्मिध्वजावती 7. 20. 326. कवचोष्णीषफेनाघ्या 6. 99. 350. कवचोष्णीवसंछना 9.8. 31". कवयः परिचक्षते 12. 155. 1. कवयः समवस्थिताः 12. 19. 16. कवयः समुपस्थिताः 8. 49. 16. कवयो धर्मलक्षणम् 12. 251. 34. कवयोऽप्यत्र मोहिताः 6. 26. 16. 13. App. 15. 2584 post. कवाटवक्षःस्थलमुन्नतांसम् 4. 634*. 4. कविप्रधानस्तु महर्षिपुत्रः 13. App. 1. 160.. कविभिरभिप्रथयद्भिरात्मकीर्तिम् 12. 172. 35. कविभिर्दोषदर्शिभिः 5. 75.71. कविभिः संभृतं मधु 12. 140. 34. -- 675 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy