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________________ कल्पक्षये पुनस्तानि ] स्लोकपादसूची [कल्यचित्तमनामयम् कल्पक्षये पुनस्तानि 6. 31.7deg. कल्पते ब्रह्मभूयसे 12. 231. 1843; 234. 80. कल्पते सर्व एव हि 12. 161. 254. कल्पनं प्रेषणक्रियाः 12. 221.74. कल्पना युद्धकौशलम् 1. App. 32. 22 post. कल्पनाविधिकल्पितम् 7. 122.774. कल्पना विविधाश्चापि 12.59.45%. कल्पन्ते शाश्वता दिवि 5. App. 3. 37 post. कल्पन्ते शाश्वतीः समाः 12. 154.296. कल्पप्रयोगे चोत्पन्ने 13. 10. 34. कल्पमेकं कृमिः सोऽथ 12. App. 9. 7 pr. कल्पयध्वं च मे दिव्यं 8. App. 2. 13 pr. कल्पयन्ति हि मां विप्राः 12. 330. 34. कल्पयन्तीह ये सदा 7. 401*. 3 post. कल्पयानेन भारत 13. 147.6'. कल्पयामास भागतः 5.56. 16%. कल्पयामास वै तदा 8. App. 2. 48 post., 103 post., 105 post. कल्पयामास वै प्रभुः 7. App. 8. 116 post. 12. 249. 14. कल्पयामास सूतवत् 7.60. 11'. कल्पयामासुरव्यग्राः 10. 18.20. कल्पयांचक्रिरे विभो 8. 24. 92. कल्पयित्वा महारथम् 13. 53. 31". कल्पयित्वा यथाशास्त्रं 7.56. 31deg. कल्पयित्वा रथं दिव्यं 8. App. 2. 100 pr. कल्पयिष्यन्ति वो भागान् 12.327.54. कल्पयेत्यसकृत्त्वरन् 8. 26.6". कल्पयेदासनं तत्र 13. App. 15. 4241 pr. कल्पवृक्ष इव स्थितः 7. App. 9. 12 post. कल्पवृक्षाविवाद्भुतौ 7. 143. 18. कल्पवृक्षश्च सर्वशः 14. 58.6". कल्पसंक्षेपतत्परः 6.61. 51'. कल्पसूत्रार्थतत्त्ववित् 2. App. 2. 4A 2 post. कल्पं विद्धि चतुर्गुणम् 12. 291. 14. कल्पादिषु पुनः पुनः 12. 326. 70*. कल्पादौ विसृजाम्यहम् 6. 31.74. कल्पानां बहुकोट्यश्च 2. App. 21. 68 pr. कल्पानां युद्धकौशलम् 1. App. 1. 28 post. कल्पान्ते चैव सर्वेषां 13. 14. 185deg. कल्पान्ते परिवर्तते 12.271. 62deg. कल्पान्ते ये कदाचन 13. App. 14. 200A 13 post. कल्पायुतशतं समाः 13. 110. 114 कल्पितं प्रेक्ष्य पाण्डवः 6.21.2. कल्पितः शास्त्रदृष्टेन 6.21. 4. कल्पितः स्याद्रथो मम 7. 53. 56. कल्पितानि महीपते 8. App. 2. 71 post. कल्पिताभ्यां यथाशास्त्रं 7. 27. 23". कल्पिता या च ते वृत्तिः 12, 112. 35. कल्पितेन यथाविधि 1. 212. 3. कल्पितेभ्यो द्विपैः सह 7. 123. 39. कल्पिते रथसत्तमे 8. 24.77%; App. 2.82 post. कल्पितैः कुञ्जरैर्हयैः 7.78. 318. कल्पितोऽथर्वणस्तथा 8. App. 2. 65 post. कल्पे कल्पे च भूतानि 14. 4. 134 pr. कल्पे कल्पे जायमानः स्वमूर्त्या 16. App. 1. 8. कल्पे कल्पे महाभागैः 1. App.66.42 pr. 12. App. 13. 42 pr. कल्पे कल्पेऽसृजत्प्रभुः 14. App. 4. 894 post. कल्प्यतां च रथो भूयः 8. 50. 36deg. कल्प्यतां चैव दन्तिनाम् 6.71.24. कल्प्यां वस्य तु तेनाहुः 12. 60. 34. कल्मषं गुरुशुश्रूषा 13. 68. 18. कल्मषं चोपपद्यते 13. App. 14. 178 post. कल्मषं तपसो ब्रूहि 5. 259*. 5 pr. कल्मषं नाशमेष्यति 12. App. 29E. 190 post., 370 post., 370A 5 post. कल्मपात्प्रतिमुच्यते 13. App. 14. 204 post. कल्मषादतिधर्मेण 12. App. 29E. 252 pr. कल्मषाद्विप्रमुच्यते 13. 26. 4443 75.84. कल्मषापहरः परः 13. 151.24. कल्मषेण न लिप्यते 13. App. 15.3015 post. कल्मषेणाभिसंयोक्तुं 13. App. 1A. 107 pr. कल्माषगोयुगेनाथ 13. 92. 18%. कल्माषदण्डा गोविन्द 5. 139. 370. कल्माषपाद इत्यस्मिन् 1. 166. 1". कल्माषपादमासीनं 1. 167. 16. कल्माषपाद राजर्षिम् I. 173. 16deg. कल्माषपादः सरसि 8. 30.67deg. कल्माषशबलो तथा 1. 31.7'. कल्माषाङ्गास्तित्तिरिचित्रपृष्ठाः 5. 55. 14". कल्माषान्वीतकल्मषः 6.75.47". कल्माषा बहवो राजन् 9. 44. 100%. कल्माषीतीरसंस्थस्य 2.596*. 1 pr. कल्य उत्थाय मानवः 6 App. 1. 42 post. . कल्य उत्थाय यो मयैः 13 App. 14. 203 pr. कल्यचित्तमनामयम् 12. 172. 3. पादसूची-85 -673
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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