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________________ कलिङ्गानां वरूथिनी] महाभारतस्थ [ कल्पकोटिसहस्रेषु कलिङ्गानां वरूथिनी 6. 50. 33. कलिङ्गानां वरूथिनीम् 6. 50. 174. कलिङ्गानां ससैन्यानां 6. 178*.2 pr. कलिङ्गानोष्ट्रकर्णिकान् 2. 28. 484. कलिङ्गान्कीकटाटवीन् 8. 30. 45deg. कलिङ्गान्दाक्षिणात्यांश्च 4. 163*.8 pr.; 165*.2 pr. कलिङ्गान्ध्राश्च संयुगे 7.32*.1 post. कलिङ्गान्प्रति भारत 3. 114. 30. कलिङ्गान्मगधानपि 7. 661*. 4 post. कलिङ्गान्समरे वीरौ 6. 50. 91. कलिङ्गा मगधास्तथा 8. 30. 604. कलिङ्गा मागधाः प्राच्याः 9. 32. 224. कलिङ्गारट्टबाह्निकैः 7. 165. 79. कलिङ्गाश्च ततो राजन् 6. 50. 79. कलिङ्गाश्च निषादाश्च 7. 45. 21. कलिङ्गाश्च मृधे हताः 6. 50. 1124. कलिङ्गाश्च युधाजयत् 5. 49. 28deg. कलिङ्गाः पार्वतीयाश्च 18. 28*.9 pr. कलिङ्गाः सिंहलाः प्राच्याः 7. 19.76. कलिङ्गेन महायशाः 6. 50.674. कलिङ्गेषु नराधिपः 1. 61. 60". कलिङ्गैर्बहुभिर्वृतः 6.66. 21. कलिङ्गैः समभिद्रुतम् 6. 50. 90deg. कलिङ्गैः सह चेदीनां 6.50. 14. कलिङ्गैः सह भारत 8. 17. 34. कलिङ्गैः सह युध्यते 6. 50. 964. कलिङ्गो नवभिः शरैः 6. 50. 62deg. कलिङ्गो वाहिनीपतिः 6. 50. 1. कलिजाश्च ससंशयाः 12. 230.7. कलिद्वापरयोरभूत् 1. 2. 9. कलिद्वापरयोः संधी 12.842*. 1 pr. कलिद्वारमुपस्थितम् 2. 45. 50. कलिद्वारं हि तद्भवेत् 13. App. 14. 316A 26 post. कलिना च नृपे दत्तं 3. 360*.2 pr. कलिना च प्रतिश्रुतम् 3.357*.3 post. कलिना तत्कृतं कर्म 3.77.21. कलिना तत्कृतं भीरु 3.74. 16. कलिना दुष्टभावेन 3. 247*. 4 pr. कलिनापहृतज्ञानः 3. 248*. 4 pr. कलिनाशनमुच्यते 3.78. 10. कलिनाशाय भारत 3. 360*.4 post. कलिपूर्वं च यत्कृतम् 13. 24. 4. 14. App. 4. 2061A 1 post. कलिमासन्नमाविष्टं 13. App. 1.5 pr. कलिरप्यगमद्गृहान् 3.70. 384. कलिरप्याविशत्ततः 3. 92. 100. कलिपिरमब्रवीत् 3. 55. 12. कलिर्नेयान्महीमिमाम् 15. 87*. 4 post. कलिर्वचनमब्रवीत् 3. 234*. 3 post. कलिलं प्रतिभाति माम् 12. 276. 11'. कलिश्च भरतर्षभ 12. 92.6%; 139. 10. कलिश्चैव वृषो भूत्वा 3. 56. 6. कलिसंसर्गदोषेण 3.333*. 1 pr. कलिस्त्वन्येन नादृश्यत् 3. 70.34. कलिं दुर्योधनं विद्धि 15. 39. 10 : कलिं पुत्रप्रवादेन 5. 131. 27. कलिः कोपसमन्वितः 3. 55. 5t. कलिः पञ्चदशश्चात्र 1. 114. 46". कलिः पञ्चदशश्चैव 1.59.43. कलिः पुंसः करोति किम् 3. 359*. 4 post. कलिः सर्वामराश्रयः 3. 3. 229. कलुष कालमासाद्य 3. 188.9. कलुषां गतिमानते 14.94.256. कलुषीकृतमानसाः 3.240. 14. कलुषैः परिवर्जितः 12. 602*. 4 post. कलेन * * तोत्तम 3. 410*. 1 post. कले ब्रूहि व यास्यसि 3. 55.24. कलेरन्ते पुनः पुनः 12.230. 15. कलेरंशः समुत्पन्नः 11.8.27. कलेरंशात्तु संजज्ञे 1. 61. 80". कलेयुगान्ते संप्राप्ते 2. App. 21. 594 pr. कलेवरमिहतत्ते 15. 33. 310. कलेवरं तु तत्रैव 13. App. 9A. 121 pr. कलेवराणि दृश्यन्ते 4. 1141*. 8 pr. कलेव शशिनो दिवा 3. 275*.2 post. कलेस्तस्य तदातस्य 3. 70. 280. कलेः प्रवर्तनाद्राजा 5. 501 . 1 pr. 12. 70. 27'. कलौ शास्त्रविमोहिताः 3.947*.2 post. कल्कापेतामपरुषां 12.208. 10. कल्किर्विष्णुयशःपुत्रः 12. App. 31. 19 pr. कल्किर्विष्णुयशा नाम 3. 188. 89%. कल्किश्चरिष्यति महीं 3. 189.5. कल्की भविष्यते विप्रः 7. 1442*.7 pr. कल्की विष्णुयशा नाम 2. App. 21. 593 pr. कल्पकोटिशतैरपि 13. App. 15. 2200A 1 post. कल्पकोटिसहस्रेषु 14. App. 4. 98 pr. -672
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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