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________________ अथ चेदिपतेर्माता] श्लोकपादसूची [अथ तं पार्थिवर्षम अथ चेदिपतेर्माता 3. 65. 330. अथ चेदीदृशीं वृत्तिं 5. 132. 22". अथ चेदेवमप्यस्ति 12. 211. 24". अथ चेहुष्टबुद्धिस्त्वं 3. 154. 16". अथ चेद्धर्मतो युध्येत् 12. 96.9. अथ चेद्बुद्धिजं कृत्वा 3. 29. 27. अथ चेद्रोचयेदेतत् 12. 228. 1". अथ चेद्वेत्थ शंसनः 12.259.64. अथ चेद्वेदवित्सर्वैः 13. 90. 324. अथ चेन्निरयात्तस्मात् 13. 132. 52f. अथ चेन्मन्यसे चैक 13. 147. 6. अथ चेन्मन्यसे श्रेयो 5. 94. 44". अथ चेन्मन्यसे सिद्धिं 14. 22. 21". अथ चेन्मां न जानासि 5. 74. 13". अथ चेन्मानुषे लोके 13. 132. 57". अथ चेमे महाप्राज्ञ 12.248. 4". अथ चेमे हताः प्राज्ञाः 7. App. 8. 28pr. अथ चेल्लङ्घयेदेनां 12. 97. 90. अथ चेल्लाभसमये 12. 251. 23deg. अथ चैते सुसंरब्धाः 7. 290*. 1 pr. अथ चैनं नित्यजातं 6. 24. 264. अथ चैवंगते दोषः 13. 1. 50deg. अथ चैषां वरिष्ठाय 2. 33. 250. अथ चोदन्धनादीनि 14. 17. 13. अथ छत्राणि शुभ्राणि 1. 118. 120. अथ छन्नानि नामानि 4. 175*.36 pr. अथ छित्त्वा नदी पाशान् 1. 167.54. अथ जग्राह गोविन्दः 7. 60. 19". अथ जाता महीपालाः 1. 58. 300. अथ जातिर्महामुने 12. 285. 31. अथ जातिसहस्राणि 12. 283. 26%. अथ जानाति वार्णेयः 3.72. 134. अथ जानुप्रहारैश्च 1. App. 93. 3148 pr. अथ जाम्बूनदवपुः 3. 42.7". अथ जित्वा समस्तांस्तान् 2. App. 12. 114 pr. अथ जिष्णुरुपावृत्य 4.59.24. अथ जीवति ते भर्ता 12.308. 620. भथ ज्ञातुं प्रपद्यस्व 7.57. 17deg. अथ ज्ञातुं युधिष्टिरः 3. 1368*. 1 post. अथ ज्ञात्वा विराटोऽपि 4. App. 22. 1pr. अथ ज्ञानप्लवं धीरः 12.229. 1. अथ ज्ञानेन केन वा 12.270. 33%. अथ ज्येष्ठिलमासाद्य 3.82. 1150. अथ तत्कथितं केन 1.430*. 3 pr. अथ तत्कर्म दृष्ट्वास्याः 9. 47. 24". अथ तत्र भवेद्धर्मः 7. 1379*.6 pr. अथ तत्र महार्चि-मान् 12. 166. 10. अथ तत्र महेवासः 7.37*. 1 pr. अथ तत्र विरागी सः 12. 192. 1210. अथ तत्रागमद्वयासः 15. 36.7. अथ तत्रापि चान्योऽस्य 11.5.13". अथ तत्रापि पद्मानि 5. 16. 11". अथ तत्राप्युपादत्ते 12.212. 38. अथ तत्रासतम्तस्य 12. 338. 11. अथ तत्रैव वा तेषां 1. 193.6. अथ तत्रैव संग्रामे 8.88*. 1 pr. अथ तत्सहसा राजन् 10. 18. 19. अथ तदक्षिणेनापि 10. 12. 220. अथ तक्ष्यसे ब्रह्म 12. 199. 1". अथ तद्वनमाजग्मुः 1. 93. 11". अथ तद्विद्रुतं बलम् 14. 85. 16. अथ तद्विद्रुतं सैन्यं 3.221. 300. अथ तव नरदेव संनिकाः 8.21.7M. अथ तव रथमुख्यान्तान्प्रतीयुस्त्वरन्तः 8. 62.340. अथ तस्माजलाद्राजन् 13. App. 1A. 288 pr. अथ तस्मादवरजं 1. 119.27". अथ तस्मादुद्विजते 12. 132. 8. अथ तस्माटुपगतो 5. 119.28. अथ तस्मिन्शुभे काले 12. App. 11. 8 pr. अथ तस्य जटाः क्विन्नाः 12. 253. 186. अथ तस्य समुद्रस्य 1. 16. 276. अथ तस्यामतीतायां 9.50. 390. अथ तस्यामदृश्यायां 1. 161. 1". अथ तस्यां समभवत् 2. App. 6. 39 pr. अथ तस्यां समुत्पन्ने 1. 168. 230. अथ तं कुशिको हृष्टः 13.52. 236. अथ तं चोदितं दृष्ट्वा 4. App. 50. 23 pr. अथ तं छिनधन्वानं 8.34.33. अथ तं जडसर्वाङ्गं 3. 12.65". अथ तं तापसं शुद्धः 13. 10.210. अथ तं देशमभ्यागात् 1.73. 11". अथ तं नरके घोरे 3. 128. 100. अथ तं निर्विकारं तु 13. App. 11. 390 pr. अथ तं निश्चयं तस्य 3.239. 18%. अथ तं पापकमाणं 12. 167. 140. अथ तं पार्थिवर्षभ 13. App. 9A. 165 post. -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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