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________________ ईक्षां कुर्वीत भूमिपः] महाभारतस्थ [ईदृशानशिवान्धोरान् ईक्षां कुर्वीत भूमिपः 4. 120*. 53 post. ईडयो हस्ती सुरव्याघ्रः 13. 17. 145". ईक्षितश्चार्जुनो भ्रात्रा 4. 66. 28deg. ईतयश्च न सन्ति मे 5. 60. 17. ईक्षितः प्रतिवीक्षेत 12. 67. 389. ईतयश्च प्रवर्तन्ते 4. 1091*. 6 pr. ईक्षितुं च महादेवं 13. 15. 28"; 146*. 6 pr. ईतयो नुद भद्रं ते 5. 145. 25. ईक्षितुं नोत्सहन्ते स्म 9. 25. 35. ईतयो व्याधयस्तन्द्री 3. 148. 34". ईक्षितृप्रीतिजननं 6. 43. 54"; 112.7.9. 21. 24. ईक्सांख्यो विमुच्यते 12. 228. 36'. ईक्षितृप्रीतिवर्धनम् 7. 24. 44. ईगल्पं च वक्तव्यं 12. 208. 10deg. ईक्षेत्कुलगुणादिमिः 12. 314. 434. ईदृग्गुणो मानवः संप्रयाति 13. 72. 12. ईजानः क्रतुमिः पुण्यैः 7. App. 8. 566A 3 pr. ईग्भूतीयमेवाहुः 12. App. 29D. 41 pr. 12. 29. 88. ईग्रूपमहं मन्ये 8. 31. 59"... ईजानाय पुण्यतमाय राज्ञे 7. App. 8. 572A 3. ईग्रूपं भवेदिति 7. 113*. 1 post. ईजाना वेदपारगाः 7. App. 8. 628 post. ईदृग्विधस्त्वं समधिष्ठितोऽसि 12. App. 17A. 20. ईजानाः परमर्षयः 3. 129. 14. ईदृशश्चाप्यगस्त्यो हि 13. 140. 14". ईजानाः पितृयानेन 12. 17. 14. ईदृशस्तु त्वया स्पर्शः 4.21. 46. ईजानो भरतस्तदा 1. 89. 18. ईदृशस्य कुतो राज्ञः 12. 131.86. ईजानो वितते यज्ञे 7. App. 8. 377 pr., 514 pr., 614 pr. ईदृशस्य द्विजश्रेष्ठ 1. 1095*. 2 pr. 12. 29. 26deg, 29deg, 580, 94%; 42*. 2 pr. ईदृशं दुःखमानीय 3. 28.6. ईजिरे ऋतुभिश्चापि 1. 164. 10. ईदृशं द्विजसत्तम 12. 24. 264. ईजिरे ऋतुमिः श्रेष्ठैः 3. 184. 25. ईदृशं धर्मसौकय 13. App. 15. 4589 pr. ईजिरे च महायज्ञैः 1. 58. 17. ईदृशं न प्रकाशते 9. 34. 60*. ईजिरे यज्ञमच्युत 13. 65. 23deg. ईदृशं नास्य रूपं मे 8. 34. 130. ईजिवांस्त्वं जपैहोमैः 7. 172. 84. ईदृशं परमं स्थानं 12. 191. 10%. ईजे ऋतुमिरुत्तमैः 12. 83. 66. ईदृशं प्रकृतं परैः 7. App. 8. 12 post. ईजे ऋतुशतेन ह 9. 48. 2. ईदृशं भवती कंचित् 5. 133. 21". ईजे क्रतुशतैः पुण्यैः 7. App. 8. 854 pr. ईदृशं मम दर्शनम् 12. 326. 96. ईजे च क्रतुभिर्मुख्यैः 7. App. 8. 892 pr. ईशं मां विजानाति 1. App. 113. 35 pr. ईजे च बहुमियज्ञैः 1. 69. 47. ईदृशं रथमारुह्य 13. 325*. 2 pr. ईजे च बहुमिः सत्रैः 1. App. 53. 7 pr. ईदृशं राक्षसेश्वर 3. 265. 19. ईजे च विविधैर्यज्ञैः 3.78.80.7. App. 8. 667 pr. ईदृशं वक्तुमर्हसि 4. 303*. 6 post. 12. 308. 1824. ईजे च विविधैः सवैः 1. 70. 29d. ईदृशं वक्तुमुत्सहेत् 1. 94. 781. ईजे च स महातेजाः 1. 172.2". ईदृशं वचनं ब्रूयात् 5. 133. 2. ईजे चाप्यश्वमेधेन 3. 54. 36". ईदृशं व्यसनं दद्यात् 7. 118. 14. ईजे तत्र स धर्मात्मा 14. 4. 27deg. ईदर्श व्यसन युद्धे 8. 18.520. ईजे बहुगुणैर्नृपः 7. App. 8. 453 post. ईदृशं सात्यकि संख्ये 7. App. 13. 32 pr. ईजे यज्ञशतैरिष्टैः 7. App. 8. 597 pr. ईदृशं साहसं क्वचित् 3. 235. 21'. ईजे राजर्षियज्ञेन 3. 229. 14. ईदृशः कुलपांसनः 12. 162. 454. ईजे शाकुन्तलो नृपः 1. 878*. 3 post. ईदृशः पुरुषोत्कर्षः 13. 132. 56. ईजे स च महासत्रैः 1. App. 118. 12 pr. ईदृशः स महादेवः 7. 173. 70. 13. 145. 41". ईजेस विविधैर्यज्ञैः 7. App. 8. 624 pr. ईदृशः स मुने लोकः 3. 247. 12". ईडितः शरणैषिणः 1. 223. 100. ईदृशात्पुरुषक्षयात् 9. 29. 14. ईडितानां सहस्रशः 13. App. 3A. 288 post. ईदृशा दुर्लभा लोके 3. 205. 14. ईडितो द्विजमुख्यैश्च 1. App. 91. 6 pr. ईशाध्यात्मिनो ये तु 14. App. 4. 1716 pr. ईब्यश्चास्मिन्मखवरैः. 2. App. 21. 231 pr. ईदृशानशिवान्धोरान् 12. 254. 49". - 430 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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