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________________ आर्जवे च स्थिरो भव] श्लोकपादसूची [मार्ता चानागसी नारी आर्जवे च स्थिरो भव 7. 126. 344. आर्जवेन च संपन्नः 12. 72.60. मार्जवेन तितिक्षया 3. 156. 101. आर्जवेन नरं युक्तं 5. 39. 490. आर्जवेन समाचरन् 13. App. 15. 1554 post. आर्जवेन समायुक्ताः 12. 122*. 1 pr. आर्जवेनागतं दृष्ट्वा 5. 193. 50". आर्जवेनापरे युक्ताः 12. 342. 15. 13. App. 15. 3847 pr. आर्जवेनाप्रमादेन 12. 215. 34". आर्जवेनाभिगन्तब्या 12. 308. 74. आर्जवेनाभिजानामि 12. 348. 5". आर्जवेनेह धार्यते 12. 58. 22". आर्जवेनेह संयुक्तः 13. 130. 30. आर्जवेनैव गन्तव्यं 12. 312. 9". आर्जवेनैव धार्यते 12. 58. 20deg. मार्जवेनैव युद्धेन 5. 194. 10deg ; 195. 15. 6. 46. 19". मार्जवे वर्तमानस्य 3. 203. 12. 13. App. 15. 835 pr. आर्जवेऽस्या दृढं मनः 13. 2. 64. आर्जवो भुवने नित्यं 13. 130. 31". आर्जितं दुष्कृतं तस्य 14. App. 4. 3127 pr. मार्जितानां च रक्षणे 13. App. 15.3971 post. आर्जुनिपतिं विद्ध्वा 6. 107. 180. आर्जुनिर्व्यचरद्वयोम्नि 7. 47. 35. मार्जुनिश्चित्रसेनेन 6. 100. 196. आर्जुनिस्तस्य समरे 6. 43. 670. आर्जुनिस्तु हयांस्तस्य 7: 83.7". आणुनि कोसलेन्द्रस्तु 6. 112. 30%. आर्जुनिं तु ततस्तूण 6.51.7. मार्जुनि परमास्त्रवित् 7. 313*. 1 post. मार्जुनि परवीरहा 6. 45. 174. आर्जुनि पुरुषर्षभम् 1. 213: 60. मार्जनिं प्रति संक्रुद्धः 7. 38. 14. आर्जुनि मामकाः सर्वे 7. 37. 1. भार्जुनि रथवंशेन 6. 51. 15. मार्जुनि शरवर्षेण 7. 44. 16. आर्जुनि श्रुतकीर्ति च 7. 179*. 1 pr. आर्जुनिं समरे शूरं 6. 97. 1". मार्जुनि समवाकिरत् 7. 45. 23. आर्जुनिः कर्णमादयत् 7. 39. 294. आर्जुनिः कृतिनं शूरं 7. 180*. 2 pr. मार्जुनिः क्षत्रधर्मा च 7. 34. 30. मार्जुनिः पर्यवर्तत 7. 40. 124. मार्जुनिः शरजालेन 6.74. 23. मार्जुनिः समरे राजन् 6.77. 27. आर्जुनिः समरे शूरः 7. 37. 14. आर्जुनिः समरे सैन्यं 6. 97. 28. आर्जुनिः सात्यकिश्चैव 6. 53. 33. आर्जुनिः सुमहाबलः 7. 315*. 10 post. आर्जुनेः कर्म तदृष्ट्वा 7. 37. 80. आर्तत्राणपरोऽथ वा 12. App. 9. 18 post. भार्तनादमकुर्वन्त 3. 105. 21. भार्तनादश्च सुमहान् 12. 166. 156. आर्तनादस्वनवतीं 7. 162. 16. आर्तनादं ततश्चके 9. 35. 26deg. भार्तनादं महच्चक्रे 9. 1. 19. आर्तनादं रणे चक्रुः 6. 98. 33. मार्तनादान्विकुर्वाणाः 8. 43. 27deg. आर्तनादाः प्रदुद्रुवुः 7. App. 16. 58 post. आर्तनादो महानभूत् 15. 7. 13. मार्तनादो महानासीत् 8. 3. 2. 12. 446*. 10 pr. आर्तनादो महामृधे 8.59. 30. आर्तनादो महांस्तत्र 8. 45. 42". आर्तप्रलापानिह यान् 7. 621*. 1 pr. मार्तप्रलापान्मा तात 9. 30. 51". प्रिलापांश्च बहून् 7. 90. 2. भार्तयैतन्मया भीम 4. 20. 14". आर्तरूपोऽब्रवीदिदम् 12.24. 20deg. भार्तवाक्यं तु तत्तस्य 2. 45. 45. भार्तश्वोच्चारयेन्मत्रं 12. App. 9. 18 pr. भार्तस्य ब्राह्मणस्यैवम् 1. 150. 260 मार्तस्य सततं प्रियम् 3. 15*. 2 post. भार्तस्यार्ततरः पार्थः 16.7.2 मार्तस्वरनिनादितम् 7. 61. 10. 14. 68. 30. भार्तस्वरं सादिपदातियूनां 6.56. 19%. आर्तस्वरं हन्यमानं हतं च 5. 47. 576. भार्तस्वरेण महता 7. 165. 69. आर्तहस्तप्रदो नित्यं 12. 118. 19. 13. 131. 36". भर्तिहस्तप्रदो राजा 13. 128.52% App. 15. 505 pr. भात वातात्मजं दृष्ट्वा 5. 159.50. भातः खिन्नगतिर्द्विजः 14. App. 4. 938 post. आर्तः शोचन्नलं नृपम् 3. 57. 22. भातः स पतितः क्रुद्धः 12. 173. 6". भातः सभ्येषु मानवः 2. 61. 54. भार्ता कुन्तीमिदं वचः 1. 116. 15. भार्ता गृहागताः पूज्याः 12. 378*. 1 pr. भार्ता चानागसी नारी 7. App. 8. 193 pr. -349 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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