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________________ अचलोऽयं सनातनः] श्लोकपादसूची [अचिरेण सुयोधन अचलोऽयं सनातनः 1. App. 80. 30A 17 post. 6.24.24". अचलो वृषकश्चैव 2. 31.7M. 5. 165. 10. 15. 40. 120. अचाल्यो हिमवानिगरिः 13. 35. 20. अचिकित्स्येन वा पुनः 12. 148.21". अचित्तामात्मनि द्विजः 1. App. 64.27 post. अचिन्तयत सद्गतिम् 12. 145. 14. अचिन्तयत भारत 3. 240. 29". अचिन्तयत्कथमिमे 4. 1123*. 1 pr. अचिन्तयत्तमेवार्थ 13. App. 15. 2543 pr. अचिन्तयदमेयात्मा 6. 55. 66. अचिन्तयगणे वीरः 6. 114. 30deg. अचिन्तयविस्मितश्च 13. App. 2. 31 pr. अचिन्तयन्कंचिदन्यं 5. 125.21". अचिन्तयन्तस्तु शरान् 3.21. 20%. अचिन्तयन्नमेयात्मा 5. 129.20%. अचिन्तयन्ममेदं ये 3. 211. 80. अचिन्तयन्महाबाहुः 7. 102.8deg. अचिन्तयन्वै स शरान् 7.91. 34". [अ]चिन्तयं वै सरस्वतीम् 12. 306. 134. अचिन्तयश्च ते सर्वे 7.30. 286. अचिन्तयामोपसृत्य 1.209. 12. अचिन्तयित्वा तच्छापं 1. 1258*2pr. अचिन्तयित्वा तान्बाणान् 6. 112.85%. अचिन्तयित्वा भीमस्तु 7. 114.33%. अचिन्तयित्वा मरणं 7. App. 8. 49AT pr. अचिन्तयित्वा स शरांस्तरस्वी 6.81. 31". अचिन्तितमनुद्दिष्टं 13. 115. 14. अचिन्त्य एष भगवान् 13. 18. 236. अचिन्त्य क्षत्तुर्वचनं 2. App. 38. 41 pr. अचिन्यत्वाद्धि चित्तानां 10. 3. 80. अचिन्य पाण्डवान्कामात् 6.75. 6. अचिन्त्यबलपौरुषान् 5.78. 10. अचिन्त्यबलवीर्याश्च 9. 273*. 3 pr. अचिन्यमद्भुतं चैव 7. 113. 24". अचिन्त्यमद्भुतं लोके 12.602*. 10 pr. अचिन्त्यमनभिज्ञेयं 1. 26.76. अचिन्त्यममरैरपि 12. App. 17C. 73 post. अचिन्त्य शरवर्ष तु 3. 231. 4". अचिन्त्यस्याप्रमेयस्य 13. App. 4. 14A 1 pr. अचिन्त्यं गुह्यमुत्तमम् 14. 47.24. अचिन्त्यं चापि तं ज्ञात्वा 12.339. 120. अचिन्त्यं ब्रह्म निद्वं 1.73. 36deg. अचिन्त्यं मनसाप्यन्यैः 13. 14. 360 अचिन्त्यं महदाश्चर्य 3. 186. 150. अचिन्त्यं रोमहर्षणम् 2. App. 21. 640 post., 1500 post, अचिन्त्यं वासुदेवाख्यं 12. 558* 2 pr. अचिन्त्यं शाश्वतं ध्रुवम् 13. 151*. 10 post. अचिन्त्यः पुण्डरीकाक्षः 12. 200. 46. अचिन्त्यः पुरुषव्याघ्र 12. App. 16. 14 pr. [अ]चिन्त्यः सत्यव्रतः शुचिः 13. 17. 149deg. अचिन्त्यः सदसत्परः 12. App. 17B.72 post. अचिन्त्या दिव्यसंकल्पा 6. 7. 46. अचिन्त्याद्भुतयोगिनम् 3.514*. 2 post. अचिन्त्यानद्भुतान्भावान् 3. 109.2. अचिन्त्यायाम्बिका भत्रे 7.57.530. अचिन्त्या विविधास्तत्र 3. 157. 37deg. अचिन्याः खलु ये भावाः 6. 6. 11". अचिन्त्ये विमले स्थाने 12. App. 24. 11 pr. अचिन्त्योऽयमहं भूयः 12. App. 17C. 62 pr. अचिन्त्योऽथाप्यनिर्देश्यः 13. 151. 3. अचिन्त्यो विभुरव्ययः 2. App. 21. 251 post. अचिन्त्योऽहमनन्तोऽहं 14. App. 4. 121 pr. अचिरं शोककर्शिताः 3. 226.54. अचिराञ्चैव द्रष्टा त्वं 14.51.23. अचिरात्तस्य नश्यन्ति 7. 124. 250. अचिरात्तं दुरात्मानं 4. App. 16. 15 pr. अचिरात्तु गमियामि 14. 16. 41". अचिरात्त्वं महाराज 2. 146*. 1 pr. अचिरात्स मनुष्येन्द्रः 1. 168. 16". अचिरादिव संप्राप्ता 1.78. 250. अचिरादेव पीड्यन्ते 12. App. 3. 54 pr. अचिराद्गमयामासुः 6. 86. 53. अचिरादातयित्वाहं 4. App. 61. 18 pr. अचिराद्रक्ष्यसे कृष्णे 5. 80. 44. अचिराद्रक्ष्यसे पतीन् 5. 80. 49". अचिराद्रष्टुमिच्छामि 4. App. 53. 4 pr. अचिराद्भगवन्भौमं 3. 185.26%. अचिरागरतर्षभ 3. 155. 9. अचिराद्यत्प्रवर्तते 3. 148. 37. अचिराद्विनशियसि 13. 28. 274. अचिरेण जिताल्लोकान् 9. 18. 61". अचिरेण न संशयः 13. App. 10. 198A 1 post, ___202 post. अचिरेण महाराज 12. 159.34. अचिरेण महीं पार्थः 7. 120. 36deg. अचिरेण सुयोधन 5. 160. 19d पादसूची-4 - 25 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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