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________________ आत्मनो बलमास्थाय] महाभारतस्थ [आत्मप्रसवधारिणीम् आत्मनो बलमास्थाय 12. 397*. 5 pr. आत्मनो बिल्वमात्राणि 1. 69. 1. आत्मनो बुद्धिदौर्बल्यात् 6. 46. 903; 103. 180. आत्मनोऽभिमुखं रणे 6. 111. 11'. आत्मनो भूतिमिच्छता 13. 62.94.14. App. 4. 2270 post. आत्मनो मतमुत्सृज्य 5. 122. 22. 12. 94. 28deg. आत्मनो मरणं जानन् 8. 46. 17. आत्मनो महतो वेद 14. 40.8". आत्मनो मांसमुत्कृत्य 3. 131. 22. आत्मनो मित्रमात्मैव 1. 607*. 1 pr. आत्मनो मृगशापेन 1. 111. 21. आत्मनो मे गतिः शुभा 14. 16. 384. मात्मनो येन दृश्यते 8. 15. 4. आत्मनो येषु जायते 14.34.14. आत्मनो रक्षणं प्रति 7. 86. 40%. आत्मनोरग वै कृतः 1. 10. 11. आत्मनोऽर्थे त्वया लोकः 9. 3. 40% आत्मनोऽर्थेऽस्मदर्थे च 1. 13. 20. मात्मनोऽर्धमिति श्रौतं 1. 645*. 1 pr. आत्मनोऽर्धं च तस्याग्निः 7. 173.95%. आत्मनोऽधं तु तस्याग्निः 13. 146.5*. आत्मनो लघुतां कृत्वा 5. 118.7. आत्मनो लोकरक्षार्थ 12. App. 16. 22 pr. भात्मनो वा परस्य च 7. App. 8.786A 13 post. भात्मनो वा परस्य वा 12.35. 250. मात्मनो वा यदीहसे 12. 170.6. आत्मनो विजयावहम् 7. 173.3. मात्मनो विद्यमानत्वात् 1. 1615*.2 pr. मात्मनोऽव्ययिनो ज्ञात्वा 12.242. 200. मात्मनोऽसदृशं परैः 5. 103. 296. आत्मनो हन्त गच्छामि 1. 69. 26deg. मात्मनो हि गतागतम् 13. App. 15. 2490 post. आत्मनो हितमिच्छता 13. 427*.2 post. ; App. 14. 235 post., 345 post., 398 post. भात्मनो हितसंभवाम् 6. App. 4. 243 post. मात्मनो हि वयं दोषात् 12. 7. 30%. भात्मनो ह्यपराधेन 9. 58. 200. आत्मन्यग्नीन्समाधाय 13. App. 3A. 1 pr., 423 pr., ___430 pr. मात्मन्यग्नीन्समारोप्य 12. 236. 23deg. भात्मन्यपि च मित्रेषु 9.59. 120. भात्मन्यपि न विश्वासः 3.281. 41". आत्मन्यविद्यमाने चेत् 1. 1615*. 4 pr. आत्मन्यव्ययिनि प्राज्ञे 13. App. 15. 4231 pr. आत्मन्यात्मानमाधाय 3. 143. 4. 13. 130. 52. आत्मन्यात्मानमावेश्य 14. 27.23. आत्मन्यायासयोगेन 12. App. 21. 38 pr. आत्मन्यारोप्य धर्मवित् 12. 313. 19. आत्मन्येव च संतुष्टः 6. 25. 17deg. आत्मन्येव पितामहः 7. App. 8. 157 post. आत्मन्येव प्रजापतिम् 7. App. 8. 132 post. आत्मन्येव प्रपश्यति 14. 19. 29". आत्मन्येव प्रयतन्तेऽथ मूढाः 5. 30. 42. आत्मन्येव प्रसीदति 12. 168. 40". आत्मन्येव भविष्यामि 12. 169. 34. आत्मन्येव वशं नयेत् 6.28. 264. 13. App. 15.4247post. आत्मन्येव व्यवस्थितौ 14. 13. 4. आत्मन्येव समाश्रितौ 12. 13. 5. आत्मन्येव समाहितः 12. 47. 34. आत्मन्येव हि संदृश्यौ 12. 107. 18. आत्मन्येवात्मना जातः 12. 169. 34". आत्मन्येवात्मना तुष्टः 6.24.55%. आत्मन्येवात्मनात्मानं 12. 308. 126%. आत्मन्येवात्मनो भाव 13. 129. 250; App. 15. 778A __ 1 pr., 859 pr. आत्मन्येवात्ममोक्षणात् 12. 236. 25. आत्मन्येवात्मसात्कृत्वा 3. 13. 34deg. आत्मन्येवावतिष्ठते 6. 28. 18. 14. 44*. 1 post. आत्मन्यौत्सुक्यमालोक्य 2. 233*. 2 pr. आत्मपूजामिकामा वै 12. 276. 42. आत्मपूजामवर्णयन् 3. 198. 47. 12. 276. 27. आत्मप्रच्छादनार्थ वै 1. 181. 176. आत्मप्रतिकृति तस्मिन् 5. 341.2 pr. आत्मप्रतिष्ठिता प्रज्ञा 12.215. 23deg. आत्मप्रत्ययकोशस्य 5. 38. 23. 12 120. 28. आत्मप्रत्ययदर्शिनः 12. 287. 81. आत्मप्रत्ययिकं शास्त्रं 12. 238. 13. आत्मप्रदानवर्षेण 4. App. 12. 27 pr. आत्मप्रदानसंभोगैः 4. App. 12. 34 pr. आत्मप्रदानं कुरु कुन्तिकन्ये 3. 290. 24. आत्मप्रदानं दुर्धर्ष 3. 291. 11". आत्मप्रदानं सौम्यत्वं 2.69. 176. आत्मप्रभावात्तं विद्यात् 12.209. 15%. आत्मप्रमाण उन्नद्धः 3.32. 15. आत्मप्रमाणरचिते 12.335.58%. आत्मप्रसवधारिणीम् 5. 108. 8. -318 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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