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________________ अङ्गनानामनुत्तमा ] श्लोकपादसूची [ अङ्गुलीयेन शुक्लस्य अङ्गनानामनुत्तमा 12. 221. 15. अङ्गनामा मनोः पुत्रः 13. App. 16. 43 pr. अङ्गनामिव भूषणैः 2. App. 15. 33 post. अङ्गप्रत्यङ्गसंभूतः 3. 214. 18. अङ्गमङ्गैः समाश्लिष्य 2. App. 7.4 pr. अङ्गमेतन्महद्राज्ञां 12. 89. 264. अङ्गराजस्य युक्तांश्च 1. 1427*. 1 pr. अङ्गराजं च माधवः 2. App. 21. 1564 post. अङ्गराजोचितां कृष्णां 2. App. 41. 18 pr. अङ्गराज्यं च नाहस्त्वं 1. 127.7". अङ्गराज्याभिषेकाईम् 1. 127. 4deg. अङ्गवङ्गकलिङ्गांश्च 7. App. 8. 846 pr. अङ्गवङ्गकलिङ्गेषु 1. 207. 9". अङ्गबङ्गादयश्चैव 2. 19.7. अङ्गश्चिक्षेप तोमरान 8. 17. 16. अङ्गश्चैवौरसः श्रीमान् 12. 201. 9". अङ्ग संजय मे शंस 5.67. 160. अङ्गस्त्रियो दर्शनीयाः 2. App. 33. 27 pr. अङ्गस्य यजमानस्य 7. App. 8. 403A 1 pr., 404 pr. 12.29. 31". अङ्गस्याङ्गोऽभवद्देशः 1. 1042*. 3 pr. अङ्गहीनं प्रकुर्वते 13. App. 15. 1851 post. अङ्गहीनान्कृपणावामनांश्च 5. 30. 38. अङ्गहीनाश्च पङ्गवः 13. App. 15. 1848 post. अङ्गं च यदुदाहृतम् I. App. 57. 3 post. अङ्गं बृहद्रथं चैव 12.29. 28", 81. अङ्गं मे व्यवसीदति 3. 86*. 1 post. अङ्गः स गौतमेनापि 12. 49.72". अङ्गाङ्गावयवैश्छिन्नैः 8. 40. 1020. अङ्गात्मनः कर्म निबोध राजन् 5. 32. 156. अङ्गात्मानं समवेक्षस्व बालं 3. 133. 8. अङ्गादङ्गात्संभवसि 1. 68. 620. अङ्गानामधिपं चैव 2. 293*. pr. अङ्गानामीश्वरोऽभवत् 3. 110. 194. अङ्गानां वर्धनादम्बा 12. 258. 30deg. अङ्गानि चैव सावित्रि 3. 281. 4. अङ्गानि तव चैव च 1. 320*. 1 post. अङ्गानि चतुरो वेदाः 12. App. 16.23 pr. अङ्गानि च समग्राणि 12. 173. 38". अङ्गानि वेदाश्चत्वारः 1. App. 66.7pr. 12. App. 13.7 pr. 14. App. 4. 3243 pr. अङ्गान्येतानि कौरव्य 12. 59. 424. अङ्गान्येतानि यज्ञस्य 12. 260. 26. अङ्गान्वङ्गान्कलिङ्गांश्च 2. App. 21. 455 pr. 3. App. 24. 42 pr. 4. App. 19.51 pr. 7. 10. 150. अङ्गारक इव ग्रहः 8. 14.11. अङ्गारकबुधाविव 6. 43. 384. अङ्गारकः कुञ्जरगुप्तकश्च 3. 249. 10". अङ्गारकः कुञ्जरश्च 3. 1214*.2 pr. अङ्गारकुशमुजानां 12. 69.55. अङ्गारपर्ण गन्धर्व 1. 158. 124. अङ्गारपर्णमिति च 1. 158. 136. अङ्गारपर्णस्तच्छ्रुत्वा 1. 158. 22". अङ्गारपणं निर्जित्य 1. 2. 866. अङ्गारपांशुवर्ष च 3. 84*. 1 pr. अङ्गारवर्ष मुञ्चन्ती 1. 165. 14. अङ्गारवर्ष मुमुचे 9. 11. 13deg ; App. 3. 10 pr. अङ्गारसंश्रयाच्चैव 13. 85. 16. अङ्गारिष्टस्य चोभयोः 12. 123. 104. अङ्गारिष्टोऽथ पप्रच्छ 12. 123. 11. अङ्गारेभ्योऽङ्गिराभवत् 13. 85. 154. अङ्गारेभ्योऽङ्गिरास्तात 13. 85. 17. अङ्गारेषु च दह्यन्ते 13. App. 15. 2668 pr. अङ्गा वङ्गाश्च पुण्डाश्च 2. 48. 15.8. 17.2. अङ्गा वङ्गाः कलिङ्गाश्च 6. 10. 44. अङ्गावतीं घृतवतीं 13. App. 9.82 pr. अङ्गावेक्षस्व धर्म त्वं 5. 130.76. अङ्गास्तु गजवारेण 7. 68. 31". अङ्गाः क्रुद्धा महामात्राः 8. 17. 18%. अङ्गिरःप्रमुखाश्चैव 3. 83. 670. 12. 274. 9". अङ्गिरा गौतमोऽगस्त्यः 13. 27. 4. अङ्गिरा मुनिसत्तमः 12. 122. 37. अङ्गिरा वै महातपाः 13. 26. 64. अङ्गिराश्च ऋतुश्चैव 13. 92. 20deg. अङ्गिरास्त्वां ततोऽब्रवीत् 6.64. 5. अङ्गिराः कश्यपश्चैव 12. 285. 17". अङ्गिराः कश्यपोऽत्रिश्च 9. 44. 90. अङ्गिराः प्राह पुत्रस्य 7.69. 66". अङ्गिराः समदृश्यत 5. 18.5*. अङ्गुलित्रैः सकेयूरैः 7. App. 21. 20 pr. अङ्गुलीभिरलंकृतौ 3. 186. 119t. अङ्गुलीभिर्यकर्षत 1. 123. 38%. अङ्गुलीभिस्त्रिभिः पिण्डं 14. App. 4. 2802 pr. अङ्गुलीभ्यश्च मारिष 8. 12. 30deg. अङ्गुलीभ्यामुपादाय 1. App. 98. 23 pr. अङ्गुलीयेन शुक्लस्य 1. 517*. 1 pr. -23 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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