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________________ आकाशे समदृश्यन्त ] श्लोकपादसूची [ आक्रान्ता इन्धनैः स्थूलैः आकाशे समदृश्यन्त 4.59. 32deg; 917*. 8 pr.; 953*. l pr.; 997*.4 pr. 6. 82.7". 7. 1005*. 1 pr. आकाशे समपश्याम 9. 16.71deg; 20. 14. आकाशे संहतः शरः 4.53. 374. आकाशे स्फाटिकं महत् 1. 57. 13. आकाशे स्फाटिके च तम् 1. 57.31. आकाशोऽस्ति न संशयः 12. 177. 10. आकिंचन्यमनारम्भः 13. App. 15.553 pr. आकिंचन्यमनाशास्यं 12. 8. 11". आकिंचन्यं च राज्यं च 12. 170. 100. आकिंचन्यं परं सुखम् 13. App. 15. 3977 post. आकिंचन्यं सुखं लोके 12. 170. 80. आकिंचन्यं सुसंतोषः 3. 203. 46". 12. 316. 194. आकिंचन्ये च राज्ये च 12. 170. 11". आकिंचन्ये न मोक्षोऽस्ति 12. 308. 500. आकीर्णमपि सर्वतः 12.364*. 1 post. आकीर्णा भाति मेदिनी 11. 16. 49d. आकीर्णा वसुधा तत्र 4. 31. 13. आकीर्णा वसुधाभवत् 9. 14. 36deg. आकीर्णास्तोमरांश्चापान 8. 14. 30deg. आकीर्णैराचिता भूमिः 3. 100. 9. आकीर्यंत रणे भीमः 7. 113.6deg. आकुमारमहृष्टवत् 1. 118. 30*. आकुमारमिमाः प्रजाः 3. 36. 27. आकुमारं कुरूद्वह 2. 43. 144. आकुमारं च पौरास्ते 15. 28. 70. आकुमारं तदा राजन् 14.72.90. आकुमारं नरव्याघ्र 9. 1. 19". आकुमारं पुरं सर्वे 11.9.86. आकुमारः स्मराम्यहम् 8. 30. 124. आकुलत्वात्तु केतृणां 3. 198. 10. आकुलं प्रतिभाति मे 2. 615*. 1 post. आकुलं भरतर्षभ 7. 146. 17. आकुलं सुमहद्धोरं 13. App. 15. 370 pr. आफुलाफुलमुत्सृष्टं 12. 38. 44. आफुलानि च शास्त्राणि 12. 19. 20. आकुला सा सभा तात 2. 11. 39deg. आकुलीकृत्य कौन्तेयः 7. 121.9. आकुलेनान्तरात्मना 12. 141. 194. आकृतीनां च चित्तीनां 3. App. 25.77 pr. आकृतिय॑क्तिरित्येतो 12. 308. 107". आकृतिं च तयो—हि 12. App. 19. 183 pr. आकृति चन्द्रमण्डले 6.32*. 1 post. आकृतीमात्रसूचितम् 15. 33. 22. आकृष्टक्रोडीकरणं 4. 254*. 1 pr. आकृष्टस्तर्जितो वापि 14. App. 4. 3153 pr. आकृष्यकर्षणात्सम्यक् 2. App. 6. 12 pr. आकृप्य केशे रुदती 5.374*.3pr. आकृष्य मम दासीभिः 1.724*.2 pr. आकृप्यमाणः कलिना 3.59.220. आकृष्यमाणा वातेन 3. 143.9%. आकृप्यमाणे धनुषि 7. App. 9. 35 pr. आकृष्यमाणे वसने 2. 61. 41"; 543*. 1 pr. आकृय राजन्ना कर्णात् 7. 88. 43. आकृप्याकृष्य युध्यताम् 2. App. 7. 12 post. आ केशग्रहणान्मित्रं 5.91. 11". आ केशाग्रान्नखाग्राञ्च 7. 169. 23deg. 8. 27. 90deg. आक्रन्दजननं महत् 6. 12*. 1 post. आक्रन्दतीमुपश्रुत्य 3. 60. 250. आक्रन्दगीमसेनं वै 3. 154. 7. आक्रन्दन्त ततो जनाः 10. 8. 97d. आक्रन्दमानः करुणं 14. App. 4. 619 pr. आक्रन्दं हतबन्धूनां 11. 18. 80. आक्रन्दामि समन्ततः 1. App. 55.63 post. आक्रन्दे तत्र कौन्तेयः 1. 205. 12. आक्रन्दोऽस्याप्यशोभनः 1. App. 103. 79 post. आक्रमिन्ये पदा मूर्ध्नि 5. App. 13. 26 pr. आक्रम्य कण्ठे युधि राजपुत्रं 8. App. 30. 29. आक्रम्य गतयः सूक्ष्माः 12.290.86deg. आक्रम्य च कटीदेशे 4. App. 24. 8 pr. आक्रम्य चाप्यथोद्यम्य 7. 951*. 1 pr. आक्रम्य जहि शात्रवान् 5. 131. 29. आक्रम्य तस्थुर्वणां 8. 24. 19. आक्रम्य नागभवने 1. App. 73.53 pr. आक्रम्य बहुधा नराः 12.254.42d. आक्रम्य ब्राह्मणभुक्तं 14. App. 4. 2186 pr. आक्रम्य मानुषं कण्ठम् 1. 139.74. आक्रम्य मार्यमाणाश्च 13. 117.30deg. आक्रम्य रत्नान्यहरत् 3.259.39. आक्रम्य रोग आदत्ते 12.318.34deg. आक्रम्य स कटीदेशे 3.12.640. आक्रम्य स्यन्दनं पद्भया 8.66. 10. आक्रम्याक्रम्य साधूनां 3. 188. 344. आक्रम्योरसि पादेन 14. App. 4.549 pr. आक्रान्तभोगस्तेजस्वी 4. 1034*. 8 pr. आक्रान्ता इन्धनैः स्थूलैः 12. 289. 19. पादसूची-38 - 297 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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