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________________ अविजित्य मतिक्षयान ] महाभारतस्थ- . [ अविध्यच्च भृशं तीक्ष्णैः अविजित्य मतिक्षयान् 5. 34. 65*. अविजित्य महारथान् 3.252.25. अविजित्य य आत्मानं 5.34. 54"; 127.274. अविज्ञातगतिश्चैव 1.60.21. अविज्ञातस्तथापरः 8. 19.66. अविज्ञातं कुमाराणां 1. 123. 46'. अविज्ञातं च शल्यस्य 5.46*.pr. अविज्ञातः सुरगणैः 5.98. 1 pr. अविज्ञाता भविष्यामः 1. App. 83. 31 pr. अविज्ञाता महात्मानः 1. App. 81. 215 pr. अविज्ञाताय वै दत्ता 1. App. 28.2 pr. अविज्ञाताश्चरिष्यथ 3. 298. 11. अविज्ञाताश्च शत्रुभिः 4. App. 17. 10 post. अविज्ञाता सहयांशुः 13. 135.61. अविज्ञातासु च स्त्री 12.91. 300. अविज्ञाताखयोऽग्नयः 14. App. 4. 2551 post. अविज्ञाताः स्म युध्यन्ते 3.36. 27deg. अविज्ञातेन वा वृद्धः 12.622*.8 pr. अविज्ञातो मया योऽसौ 18. 2.9. अविज्ञातो महारिपुः 3. 12.19. अविज्ञात्वा तु बलं बन्दिनस्य 3. 659*.2. अविज्ञात्वा वाक्यबलं परस्य 3. 133. 19". अविज्ञानविमूढाश्च 3.240. 14. अविज्ञानहतप्रज्ञाः 12.261.56. अविज्ञानाच्च भारत 12. 140. 196. अविज्ञानाच्च मूढात्मा 12.296. 47". अविज्ञानाच हिंसन्ति 3. 199. 27deg. अविज्ञानात्ततः सोऽथ 5. App. 9.54 pr. अविज्ञानादमषच 12. 306. 8. अविज्ञानादयोगश्च 12, 128. 100. अविज्ञानादयोगो हि 12. 128. 10. अविज्ञानाद्धिविज्ञाते 12. 136. 2020. अविज्ञानाद्भवान्यच्च 8. 19. 19". अविज्ञानेन महता 12. 462*.2 pr. अविज्ञानेन वा युक्ता 12.308. 63. अविज्ञाय न शक्ष्यामः 1. 222. 10. अविज्ञाय निमज्जन्ति 13. App. 11. 252 pr. अविज्ञायैव तान्प्रक्षान् 3. 296. 31, 38. अविज्ञायैव दुर्जनः 2561*. 1 post. अविज्ञायैव से प्रज्ञां 12. 147. 94. अवितृप्तविहारार्थः 13. App. 10. 332 pr. अवितृप्तस्तु धर्मेषु 14. App. 4. 1208 pr. भवितृप्तः प्रहृष्टात्मा 14. App. 4. 453 pr. अवितृप्तः स संग्रामात् 7. 48. 38. अवितृप्ता गमिष्यति 13. App. 3. 102 pr. अवितृप्तास्मि ब्रह्मर्षे 1. App. 100.72 pr. अवितृप्तो मरिष्यति 7. App. 8. 829 pr. अवित्रस्तो धनंजयः 1. App. 78. 109 post. अविदल्लोकमाहात्म्य- 12.640*. 4 pr. अविदित्वा बलाबलम् 5. 433*. 1 post. अविरात्परं ब्रह्म 14. 47.2". अविदूरे ततस्तस्मात् 9. 47. 17. अविदुरेऽथ कृष्णस्य 5.92. 484. अविदूरे मृगं दृष्ट्वा 13. 5. 36. अविदूरे वनात्तस्मात् 1. 139. 1. अविद्वं तत्र नाद्राक्षं 7.96.27. अविद्रं निशितैर्वाणः 4. App. 52.26 pr. अविद्यया तरन्मृत्युं 12. App. 19. 116 pr. अविद्यः पुरुषः शोच्यः 5. 39.62. अविद्याकर्मचेष्टानां 12.211. 31". अविद्याकर्मतृष्णाभिः 3. 2. 67. अविद्यातिमिरादित्यं 14. 111*.5 pr. अविद्या प्रकृतिज्ञया 12.779*.2 pr. अविद्या प्रकृतिः परा 12. 780*. 2 post. अविद्याबहुलो मूढः 3. 203. 5. अविद्यामाहुरच्यक्तं 12. 295.20. अविद्यालक्षणं स्मृतम् 14.50.28. अविद्यावशमागतः 12. App. 29B. 196 post. अविद्या वै महत्यस्ति 5. 133. 7. अविद्यासर्गमेव च 12. 291. 21. अविधासंज्ञकं स्मृतम् 13. App. 11. 350 post. अविद्या क्षेत्रमाहुर्हि 12. 211. 320. अविद्या प्रजहेन्नरः 13. 149.81. अविद्यो लभते विद्यां 13. App. 14. 545A ll pr. अविद्यो वा सविद्यो वा 13. App. 14. 286A_7 pr. अविद्वानशुचिः स्तब्धः 12. 84. 350. अविद्वान्ब्राह्मणो देवः 13. 136. 20%. अविद्वान्भीरुरल्पार्थः 13. 125. 280. अविद्वान्मोक्षधर्मेपु 12. 287. 19. अविद्वांश्चैव विद्वांश्च 13. 136. 21". अविद्वांसममुं लोके 13. 48. 360. अविद्विषाणस्य च सर्वदोषान् 14. 28. 4. अविधिश्च विधिश्चैव 12.291.22. अविधेया इवादान्ताः 5.34.58%; 127.26. अविधेयानि होमानि 5. 127.264. अविध्यच्च भृशं तीक्ष्णैः 6.69.4 - 231 --
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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