SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 241
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अवाप्स्यसि धनानि च] श्लोकपादसूची [अविजानन्नहं किंचित् अवाप्स्यसि धनानि च 13. 60. 17. अवाप्स्यसि न संशयः 13.55*. 1 post. अवाप्स्यसि परं धर्म 13. 119. 39. अवाप्स्यसि सुख त्वं च 5, 10. 19%. अवाप्स्यसि सुखं राजन् 5. 8. 220. अवायसे पुण्यफलं सुखेन 12. 120.54. अवाप्स्ये वा श्रियं तां हि 2. 50. 27. अवाप्स्ये वा श्रियं बाणैः 2. 447*.2 pr. अवामन्यत दुर्बुद्धिः 8. 52. 19. 9. 23. 41'. अवामंस्था मां द्रौपदीतल्पसंस्थः 8. 49. 83". अवामृगाहुरासदम् 3. 268. 24". अवारणीय महते रणाय 4. App. 53. 25. अवारयच्छरैरेव 7. 101. 10. अवारयच्छरैस्तीक्ष्णैः 9. 10. 276. अवारयच्छरौघेण 6. 79. 43. अवारयत तं युधि 7. 67. 14. अवारयत धर्मात्मा 7. 81.21. अवारयत संक्रुद्धः 6. 69.20deg. अवारयस्कूर्मनखैः 7. 90. 35". अवारयत्ततः शूरः 6. 106.44deg. अवारयत्स धर्मिष्टं 12. 112. 70%. अवारयदमेयात्मा 6, App. 4. 181 pr., 253 pr. अवारयदसंभ्रान्तः 7.480*. 2 pr. अवारयद्राजवरोऽभिपत्य 7. 115.124. अवारयन्महाराज 7. 186*. 4 pr. अवारयंस्तव सुतं 6. App. 1. 55 pr. अवारोपय वृक्षाग्रात् 4.695*. I pr. अवारोहत मेधावी 9.61. 11'. अवारोहद्रथात्तस्मात् 7. 111.9. अवारोहनथेभ्यश्च 7. 170. 59. अवार्यबलदर्पितम् 7. 41. 18. अवार्य तमवारयत् 1. 1867*. 1 post. अवार्या सेतुना गङ्गा 13. 35. 20deg. अवार्यों द्विजसत्तम 1. App. 78. 14 post. अवालीयन्त राजेन्द्र 8. 17.734. अवासीदञ्च कौन्तेय 3. 114. 19d. अवासीदवथोपस्थे 7. 122. 9, 18%. अवासृजच्च वेगेन 7. 103. 4. अवासृजत मञ्जूषां 3.292.220. अवास्जदमेयात्मा 7. 171. 40deg. अवासृजद्रथे तां तु 7. 163. 15". अवासृजद्वासुदेवाभिगुप्तः 8. 12.52". अवासृजद्वै पृथिवीप्रकाशान् 8. 661*. 6. अवासृजं महाबाहो 5. 181. 30deg. अविकल्पः पुराधर्मः 12. 159. 14. अविकाराय शुद्धाय 13.713*. 1 pr. अविकारि तथैव च 12. 156. 10. अविकारितमं सत्यं 12. 156.36. अविकारो वृकोदरः 1. 119. 404. अविकार्योऽयमुच्यते 6. 24. 25. अविक्रान्तेन रक्षणम् 12. 49.77d. अविक्रेयं लवणं पक्वमन्नं 5. 38.50. अविवमसंभ्रान्तं 4. App. 48. 4 pr. अविक्षतशरीराश्च 3. App. 31. 24 pr. अविक्षताः स्म दृश्यन्ते 9.22. 47. अविक्षतेन देहेन 12. 60. 16"; 98.24". अविक्षित्प्रबलो धूर्तः 1. 1. 1784. अविक्षिन्नाम धर्मात्मा 14. 4. 190. अविक्षिन्नाम शत्रुक्षित् 14.5. 11'. अविक्षिप्तमना राजन् 12.308.95. अविक्षिप्तानि धान्यानि 13. 617*. 6 pr. अविक्षिप्तेन चेतसा 12. 208. 100. अविग्रहा वीतभयाः 2. App. 4. 4 pr. अविग्रहे कौरवाणां 11. 8. 37deg. अविकमर्चयानस्तु 14. App. 4. 3029 pr. अविघ्नमस्तु कार्याय 2. App. 13. 20 pr. अविनमस्तु सावित्र्याः 3.278. 31". अविनश्च भवेदेषः 3.241. 536. अविघ्नं चास्तु मे नित्यं 7. App. 8.657 pr. अविघ्नं तु दिने दिने 13 App. 15. 1746 post. अविचारं वसिष्ठं त्वं 9.254*.3 pr. अविचार्य तथा वेदं 12.61. 19. अविचार्य बलाबलम् 14.94.21". अविचार्य महातपाः 13.42. 13. अविचार्य महाराज 2. 12. 15. अविचार्यमेतदुक्तं हि 3. 278. 300. अविचार्य वचो मम 15. 13. 154. अविचायैव कार्येषा 8. 49. 69. अविचाल्याश्च ते ते स्युः 15. 10. 16. अविचिन्वन्निमं वेदे 5. 275*. 2 pr. अविचेष्टन्नतिष्टद्वै 13. 40. 57. अविच्छिन्नस्य धीरस्य 5. 122. 39. अविच्छिन्नानि दृश्यन्ते 14.39. 16. अविच्छेदकृता गिरः 8. 35.56. अविजानत्सु मूढेषु 5. 90. 130. अविजाननहं किंचित् 13. App. 3A. 197 pr. पादसूची-30 -283 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy