SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 240
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अवादयन्दुन्दुभीश्च] महाभारतस्थ [अवाप्स्यसि ततः सिद्धि अवादयन्दुन्दुभींश्च 6. 41. 980. अवादयन्याण्डवेयाः 7. 153. 34. अवादयन्पारिषदाः 10. 7. 31. अवादयंश्च गन्धर्वाः 13. 20.210. अवादीश्चेद्वयसा यः स वृद्धः 1. 84. 30. जवाद्यन्तान्तरिक्षे च 12. 193. 136. अबाप च तदा भागं 12. 274, 48. अवाप च परं कीटः 13. 120. 134. अवाप चास्त्रमखज्ञः 4.47*. 29 pr. अवाप तत्पाशुपतं महावं 1. 1. 109. अवाप परमद्युतिः 13. 84.77'. अवाप परमाद्भुताम् 12. 139. 91". अवापमहमच्युत 13. 70. 41'. अवाप लोकपालेभ्यः 3. App. 27. 2 pr. अवाप सा पतीन्वीरान् 1. App. 101. 9 pr. अवाप सुमहायशाः 1. App. 80. 33A 1 post. अवाप इतकल्मपः 1.7.254. अबापं हर्षमुत्तमम् 5. 185. 14. अवापासुलभं नरैः 13. 86. 344. अवाप्तकामः खर्गे च 13. App. TA. 10 pr. अवाप्तमतितेजसम् 8. App. 18.41A 1 post. अवाप्तमिह विज्ञानं 13. 145. 1". अवापमृषिभिर्न च 12. App. 29E. 337 Post. अवाप्तमृषिसत्तमात् 4.559*.2 post. अवाप्तमेतद्वि पुरा सनातनात् 12. 206. 390. अवाप्तवान्नरश्रेष्ठः 15. 43.2. अवाप्तव्यानि सर्वाणि 3. App. 4. 11 pr. अवाप्तं कृत्स्नमेव च 12. 306. 65. अवाप्तं चात्मनो मेने 1. 160. 27. अवाप्तं तपसा विभो 12. App. 29E. 346 post, अवाप्तं रक्षितुं वापि 5. 127.21. अवाप्तः क्षत्रधर्मस्ते 12. 34. 36*. अवाप्तानीह तेभ्योऽयं 10. 15. 280. अवाप्ता भ्रातृभिः सह 3.226. 4. अवाप्तास्मि भद्रं ते 1. App. 114. 431 pr. अवाप्तार्थोऽहमद्ये ह 14. 57. 136. अवाप्तास्त्रमरिंदमम् 3. 155.6. अवामुहि नरोत्तम 7. 110. 260. अवाप्नुहि मया सह 3. 251. 184. अवाप्नोति गति कां च 13. 109. 39. अवाप्य कीर्ति च यशश्च लोके 6.55. 1294. अवाप्य कुण्डले ते तु 14.57. 4". अवाप्य कुरुनन्दनः 3. 242.9. अवाप्य कृच्छ्रे विहितं ह्यरण्ये 5. 47. 86*. अवाप्य तत्र वै जन्म 13. App. 10. 313 pr. अवाप्य तपसा वीर्य 2. App. 21. 1575 pr. अवाप्य तु पुनः संज्ञां 5. 185. 12. अवाप्य दिव्यान्यस्त्राणि 1. 2. 121"; 128*. 38 pr. 3. 832*. 2 pr. अवाप्य धर्म परमार्थकर्मा 9. 42. 38deg ; 49. 65. अवाप्य धृष्टद्युम्नं हि 1. 1806*. 3 pr. अवाप्य नारीरत्नं तत् 3.54.34". अवाप्य परमं हर्ष 13.2.30deg. अवाप्य परमास्त्राणि 3. App. 3. 32 pr. ; App. 4. 33 pr. अवाप्य पाञ्चालकरूपमत्स्यान् 5. 61.6'. अवाप्य पुत्रालब्धात्मा 1. 1259*. 1 pr. अवाप्य पुनरीश्वरात 7. 425*. 1 post, अवाप्य पुरुषो भोज 10. 3. 12. अवाप्य पृथिवीं कृत्स्नां 3.31.04. 10. 11. 11'. अवाप्य प्राणसंदेहं 13. 113. 17". अवाप्य भूमावसपत्नमृद्धं 6.24.89. अवाप्य राजा राज्याधैं 2. 269*. 1 pr. अवाप्य राष्ट्राणि वसूनि भोगान् 3. 180. 19. अशष्य वसुधामपि 3. 227. 9. अवाप्य वसु पुष्कलम् 7. App. 8. 414 post. अवाप्प सुसंपूर्णा 2.72.30. अवाप्य वासं नरदेवपुत्राः 3. 173. 4. अवाप्य सर्वशस्त्राणि 1. App. 67. 43 pr. अवाप्य स वरं राजन् 3. 193. 19%. अवाप्य सहदेवोऽपि 1. App. 80. 36 pr. अवाप्यान्कामयस्वार्थान् 12. 105. 286. अवाप्याच्यायिता भृशम् 3. 75. 26". अवाप्येषा देवदेवप्रसादात् 1. 1924*. 4. अवाप्यैतानि कर्माणि 12. App. 1. 15pr. अवाप्स्यथ यथा पुरा 13. 142.5t. अवाप्स्यन्ति न संशयः 7. 35*.2 post. अवाप्स्यन्ति परां गतिम् 15.41. 28'. अवाप्स्यसि च लोकान्बै 3. 83. 954. अवाप्स्यसि ततः सिद्धिं 12. App. 17B. 151 pr. 144. 3371 pr. अवाप्ताः क्रतको मुख्याः 10.9.37deg. अवाप्तं प्रेत्य चेह च 3. 33.51. अवाप्तो ह्यद्वयो भवेत् 13. App. 11. 224 post. अवाप्नुवन्त वेदोक्तान् 1. 119. 130. अवामुवंश्चामरत्वं 13. 142. 18deg. --232
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy