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________________ अक्षरं क्षरमेव च] महाभारतस्थ [अझैभव्यन्ति हृष्टवत् अक्षरं क्षरमेव च 12. 294.5. 13. App. 11. 361 post. अक्षरं गन्तुमनसः 12. 228. 130; App. 97.: pr. अक्षरं च क्षरं चैव 12.231. 310; 295. 10; 826. 40%. ___13. App. 11. 395pr. 14.28.200; 85. अक्षरं च सरस्वती 12.271.254. अक्षरं चाभयं च यत् 12.30.90. अक्षरं तत्तु यो वेद 5.13.3.. अक्षरं तत्परं नित्यं 12. APP. 16. 17 pr. अक्षरं तत्र सद्भावः 14.28.22. अक्षरं ध्रुवमव्यक्तं 12.290.96. अक्षरं परमं पदम् 12. 47. 23063.33; APP. 17B. 25 post. अक्षरं परमं प्रभुम् 7. 1331*. Dost. अक्षरं परमं प्राहुः 13.73*.8pr. अक्षरं परमं ब्रह्म 13. 17.11. अक्षरं परमेव च 12.217. 4sd. अक्षरं ब्रह्म परमं 6. 30.34. अक्षरं मोक्षसंज्ञितम् 13. 151*. 12 post. अक्षरं यत्परिभ्रष्टं 1. App. 8.3pr. अक्षरं सर्वतोमुखम् 12. 64. 200. अक्षरः क्षर एव च 13. App. 11. 411 post. अक्षरः क्षरमात्मानं 12.292. 48. अक्षरः क्षररूपेण 2.359*.pr. अक्षराक्षरमव्यक्तं 13. App. 5. 67 pr. अक्षराखं ततो वायुः 12. 195. 1". अक्षराणामकारोऽस्मि 6.32. 330. अक्षराणि समात्राणि 6. App. 3.86L pr. अक्षरात्मा व्यवस्थितः 3. App. 16. 111 post. अक्षरादपि चोत्तमः 6.37. 18. अक्षराय क्षराय च 12.327. 96. अक्षवत्यां यथाकामं 4.12.4". अक्षशिष्यं महाबाहुं 4. 1109*. 3 pr. अक्षश्च रथयोगी च 13. 17. 1194. अक्षसंतर्जनो राजन् 9. 44. h3. अक्षं कृत्वा तु नागेन्द्रं 7. App. 25.3pr. अक्षाणामथ योक्त्राणां 3. App. 26.6pr. 8. 19.21". 9. 13. 14. अक्षाणां हृदयं परम् 3.70.26. अक्षाणां हृदयं मे ज्यां 2.51. 3. अक्षाणां हृदये प्राप्ते 3.367*. I pr.; 360*. pr. अक्षानावाप्य सर्वशः 2. 45. 47. अक्षानाहर सैरन्ध्र 4. 63. 296. अक्षानुस्वा देवनस्य 2. 53. I". अक्षानुस्वा पुनर्वृतं 2.66. 20deg; 67. 13. अक्षानुस्वा युधिष्टिर 2.67.2. अक्षान्क्षिपन्नक्षतः सन् 2.51.2 अक्षान्न तेऽक्षा निशिताः 7. 126. 10. अक्षान्निवसुं कुशलो ह्यहं सदा 4. 180*. 123. अक्षान्प्रवतुं कुशल.ऽस्मि देविता 4. 6. 10. अक्षान्यान्मन्यसे मूड 2.68. 3903; App. 38.71 pr. अक्षान्स कक्षे परिगह्य वाससा 4.6.1". अक्षान्संमन्यमानः सः 7. 105. 16. अक्षान्हि दृष्ट्वा शकुनेर्यथावत् 3.35.4". अक्षांस्तु मन्यसे बाणान 7. 1090*. 1 pr. अक्षि जिह्वाथ नासिका 13. APP. 15. 4172 post. अक्षिभ्यामभिधीक्षितुम् 1. App. 45. Apost. अक्षिरोगयुता वापि 13. App. 15. 1790 pr. अक्षिसंतर्जनं तथा 5. 94.38. अक्षीणं क्षीणकर्माणं 12.2:37.1;3733. अक्षीणवृत्तो न क्षीणः 3. App. 32. 46 pr. अक्षीणश्च शकुन्तश्च 13. t. 49. अक्षीणो वित्ततः क्षीणः 3. App. 19.54 pr. 5.220*.2 pr. अक्षीयत ततो राष्ट्र 9. 10. 13. [अक्षीयताहरहः शशी 9.81.50. अक्षोयन्त ततोऽसुराः 9. 10. 27'. अक्षीयमाणो न्यस्तास्त्रः 7. 167. 46". अक्षुद्रमनसूयं च 1. 46.7. अक्षुद्रसचिवश्चायं 15. 16. 16. अक्षुद्रं दृढभक्तिकम् 5,39. अ'. अक्षुद्रः क्षुद्रकोणात् 7.24.496. अक्षुद्रः सत्पथालम्बी 12.116. 18. अक्षुद्रान्दानशीलांश्च 1. 56. 17". अक्षुद्रान्दृढभन्नांश्च 2.70. 13. अक्षुद्राः शुचयो दक्षाः 12. 119.9. अक्षुद्राः सत्यवादिनः 12. 81.84. अक्षुब्धत्वेऽर्णयसमः 1.62. 136. अक्षुभ्यत बलं हर्षात् 7. 107.23. अक्षेणाभिहतो राजा 4. 1088*. 1 pr. अक्षेत्रः क्षेत्रमात्मानं 12.202. 474. अक्षेपसर्गयोः कर्ता 12. 306. 42. अक्षेषायुगयोक्त्राणि 8.56. 34. अक्षेपु दोषा बहवो विधर्माः 8. 19.86". अक्षेपु न च सजेत 13. App. 11. 316A 19pr. अक्षेषु नित्यं सुपराङ्मुखेषु 5. 2. 11'. अक्षेपु मृगयायां च 3. 125. 8. 13. 141. 28. अझैदीव्यन्ति हृष्टवत् 13. 43.5*. - 10
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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