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________________ अपानो हि वशे तव ] श्लोकपादसूची [ अपाहरदसंभ्रान्तः अपानो हि वशे तव 14.23. 10. अपान्तरतमं तदा 12.837.53. अपान्तरतमा नाम 12.87.384,51". अपान्तरतमाश्चैव 12.337.614. भपापचेतसं पापः 3. 60. 16". अपापमशठं वृत्तं 14. 46. 36deg. अपापवादी भवति 12. 251.6". अपापशीलं धर्मज्ञं 1... अपापः कौरवेयेषु 5.86. 18. अपापा प्रतिगृह्यताम् 3. 1304*.2 post. अपापा मैथिली राजन् 3.275.26. अपापास्तपसा वृताः 4. 26. 81. अपापां तामहं बालां 1. 145. 37. अपापां त्यजमानस्य 13. App. TA. 202 pr. अपापां पापवर्धिनीम् 1. 810*. 12 post. अपापाः पाण्डवा येन 15. 36. 274 अपापीयान्धासवान्कुन्तिजातः 8. 681*. 1. अपापेवेव नित्यदा 7.7. 12d. अपापो ह्येवमाचारः 12. 123. 230; 132. 15. अपामग्नेस्तथेन्दोश्च 12. 276. 386. अपामपि गुणांम्तात 12. 225.5". अपामास्तां गुणोत्तरौ 12. 335. 214. अपामिव महावेगः 6.4.28. 12. 103. 18". अपामिह महत्तरम् 12. 199. 10". अपामुपरि कल्पिते 12. 335.58. अपामेते गुणा ब्रह्मन् 3. 202. 69. अपायं तत्र पश्यति 12. App. 21.51 post. अपायाच्छ कुनिस्ततः 9. 22.5.". अपायाच्छस्वमुत्सृज्य 7.50.599. अपायाच्छ्रान्तवाइनम् 9. 22.564. अपायाजवनैरश्वैः 3. 17. 16. 6. 100.24.7.20, 17, 46deg; 29. 27deg; 40.86; 81. 46. 8.55.686; App. 18. 132 pr. अपायाजवनैहयेः 4.53.69. अपायात्तनयम्तय 7. 165.714. अपायाद्र्पदो राजन् 6.73. 45deg. अपायासीद्रणाचूर्ण 7. 140. 40deg. अपारणीयं तमसः परम्तात् 5. 44. 220. अपारणीये दुश्चिन्त्ये 7. 10. 51". अपारतेजा दुर्धर्षः 2. App. 21. 1010 pr. अपारपरिमेयाय 12. 47.50deg. अपारपारोऽसि हरे 3. 1303*. pr. अपारमप्लवागाधं 5.50. 250. अपारमिव गर्जन्तं 6.72. 174. अपारमिव संदृश्य 6.48. 20. अपारयन्तं बत शोकमुद्यतं 4. App. 13. 21. अपारयन्ती मद्राणान् 8. 40. 80deg. अपारयन्त्या दुःखानि 4. 20. 11. अपारचीयों संप्रेक्ष्य 9.:.6.04. अपाराणामिव द्वीपं 7... अपारामनपारां च 4. 1009*.5 pr. अपारामनपारां तां 8. App. 8.9 pr. अपारां स्वादतीयां वै 2. App. 15.39 pr. अपारे पारकामा ये 5.144 14. अपारे पारमिच्छन्तः 8. App. 43. 12 pr. 9. 18.23; App. 1.7pr. अपारे भव नः पारं 5. 132.21". अपार मार्गमाणस्य 13. 117.16. अपार यो भवेत्यारं 12.70.37". अपार्थकमनायुज्यं 12. 138.56. अपार्थकं प्रभाधन्ते 14. App. 4. 3372 pr. अपालनं हन्ति पशृंश्च राजन 5. 10.7. अपालयत्सर्ववर्णान् 1. 112. 130. अपालयद्रणे शूरः 9.9.50. अपालिताः प्रजा यस्य 12.69.71. अपावर्तत काश्यपः 1.39. 104. अपावहन्मेघगणांम्नतम्नान 8. 1012*. 1. अपावृतं पयोऽतिष्ठत् 12.221.58. अपावृत्य स जग्रास 5.9.46. अपाश्रिताश्चेदिकरूपकाश्च 5.22.210. अपासर्पत पृष्ठतः 13. App. 1A. 290 post. अपासर्पत्ततः स्थानात् 9.57.31. अपाम्नाश्च तथा राजन् 13. 39. 10. अपात्त्य कामान्कामेशः 12.276.55. अपास्य च महाफलम् 15.21.6". अपास्य चाशु यन्तार 14. App. I. 3127 pr. अपास्य चास्य यन्तारं 2.2.14. अपास्य तु धनुश्छिन्नं 6.256*. 1 pr. अपास्य मत्स्यगन्धत्वं 1. Ayp. 39. 5 pr., 8 pr. अपास्य राजधानी वा 12. 129.64. अपास्य शिनिपुंगवः 9. 16.7363 20. 18%. अपास्यसि कथंचन 2.1.81". अपास्यान्यान्रणे योधान 6. 10s. 150. अपाहरत पाडयः 9.9. 190. अपाहरदरिंदमः 4. APP. 45.98 post. अपाहरदसंभ्रान्तः 14.83. 11. - 143 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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