SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 152
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अपां कुर्छ सरस्वत्याः] महाभारतस्थ [अपि चेदं पुरा राम अपां कुओ सरस्वत्याः 9.40. 199. अपां कुण्डे निषिञ्चसि 13. 101. 44. अपां कुम्भैः सुपूर्णश्च 14. 67.4". अपां गन्धगुणं प्राज्ञाः 13. App. 15. 4164 pr. अपां गर्भ महासच 2. App. 11.7 pr. अपां गर्भो महाभागः 3. 212.5M. अपां गुणांस्तथा पार्थ 12. 290. 89". अपां च पतये तथा 7. 173. 26". अपां च पतये नित्यं 7. 173. 386. अपां चैव गुणो राजन् 12. 335. 78". अपां तु नीलिकां विद्यात् 12. 274. 50deg. अपां धातुरसो नित्यम् 14.43. 280. अपां निधिरधिष्टानं 13. 135. 48. अपां पतिमथाव्ययम् 3. 166. 1". अपांपतिरथोवाच 1. 16.90. अपांपतिरपां भावं 3.51.31. अपां पतिर्वेगवानप्रमेयः 8. 29. 84. अपां पति प्रचकुर्हि 9. 46.90. अपां पतिः कथं ह्यस्मिन् 9. 46. 4". अपां पृथिव्या नभसो नभस्वतः 8. 1024*.5. अपां फेनसवर्णी तु 13.78. 11". अपां फेनं समासाद्य 5. 16. 16. अपां फेनेन वासवः 9. 42. 314. अपां फेनोपमं लोकं 12.290.570. अपां राज्ये सुराणां च 12. 122. 29". अपां वै सदृशं ब्रूहि 13. 137.26. अपां व्यतिक्रमे चापि 12.228. 190. अपां शैत्यं रसः केदः 12.247.4". अपां हृद उपस्पृश्य 13. 26. 136. अपां हृदं च पुण्याख्यं 3. 135.71. अपि कल्पसहस्रेण 3. 114*. 1 pr. अपि काष्टं हि जीर्यते 5.34. 494. अपि कीटपतंगानां 14. 93. 21". अपि कीटपिपीलानां 13. 132. 49. अपि कीटपिपीलिकाः 3.779*. 1 post. अपि कीटपिपीलिके 4. 45. 134. अपि कीटः पतङ्गो वा 13. 14. 96". अपि कुर्वन्ति दस्यवः 12. 87. 28d. अपि कूपतटाकं वा 13. App. 15. 3101 pr. अपि कृत्वा नरः पापं 13. 61.66". अपि कृष्णस्य सुहृदः 5. 127.39. अपि कौरवमुख्येन 7. 116.340. अपि क्रतुशतैरिट्वा 13. App. 14. 297 pr. अपि खल्ववधेनैव 12, 259. 12. अपि गाथामिमां गीतां 12. 17. IFM. अपि गाथामिमां चापि 12. 23. 140. अपि गुप्तमिन्द्रकल्पै पालैः 5. 311*. 1. अपि गोकर्णमात्रेण 13. App. 15. 3116 pr. अपि गोचर्ममात्रेण 13.61. 16. अपि घोरापराधस्य 1. App. 81. 117 pr. अपि चण्डालशूद्राणां 13. App. 15.3210 pr. अपि च त्वं नरव्याघ्र 12.340. 4". अपि च त्वां नयिष्यामि 1.67. 18. अपि च भवति मैथिलेन गीतं 12. 212. 50. अपि चात्र पुरावृत्तं 13. 80.60. अपि चात्र महायोगी 3. 86.5. अपि चात्र महाराज 3. 88. 15; 111. I". अपि चात्र स्वयं शक्रः 9.52. 17". अपि चान्यद्वरारोहे 4.398*. I pr. अपि चान्याश्च शत्रुघ्न 3. App. 6. 95 pr. अपि चापिहितः श्वः 12. 276. 30deg. अपि चाप्यत्र कौन्तेय 12.35. 184. अपि चाप्यफलं कर्स 3.33. 10. अपि चाप्यवदद्वाजन् 5. 126.40". अपि चाप्युदयात्रेण 3.380*. I pr, अपि चाय पुरा गीतः 7. 118. 48". अपि चार्थे तव पुरा 1. App. 80.30.125pr. अपि चाल्पेन यत्नेन 9.39.89. अपि चावहसन्त्युत 12.252.16". अपि चास्मत्प्रियतरः 3.82. 184. अपि चास्यन्निवाभाति 5.51. 14". अपि चास्य शिरश्छित्त्वा 12. 138.54. अपि चाहं पुरा विप्रेः 1. App. 75.24 pr. अपि चेक्षणपक्ष्माण 4. App. 12. 13 pr. अपि चेच्छनुयां प्रीति 3 17.13. अपि चेजातिसंपन्नः 13. 36, 150 अपि चेन्जीवितादिह 3.31.44. अपि चेत्नदारार्थ 12. 88.29. अपि चेत्समरं गत्वा 7. 179.78. अपि चेत्साहरेछुल्क 13. 45.3. अपि चेत्सुकृतं कृत्वा 13. 61. 19". अपि चेत्सुदुराचारः 6. 31. 30. 13. 191*.pr. अपि चेत्स्यान्मनोजवः 5.45. 104 अपि चेदसि पापेभ्यः 6. 26. 364. अपि चेदं पुरा ब्रह्मा 4. App. 16. 28pr. अपि चेदं पुरा राम 13, 85. 1". - 144
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy