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________________ बाड़मेर-जिले के प्राचीन जैन शिलालेख (63) 10 पंच धातु प्रतिमा लेखः - संवत् 1438 वर्षे ज्येष्ठ वदि 4 शनैः श्रीप्राग्वाटज्ञातीय को. पदमा भार्या श्रियादे पुत्रकानाकेन अंबिका कारापिता। 11. पंच धातु प्रतिमा:. सं. 1562 वर्षे चेत्र वदि 5 शुक्रे उपकेश सा. नरपाल भा. नामलदे पु. देल्हा भा. भरमादे पु. तेजा-रुपा आत्मश्रेयार्थ श्री........नाबिंब का. उपकेशगच्छे प्रतिष्ठितं श्रीसिद्धिसूरिभिः (95) 12. पंच धातु प्रतिमा:-. . 1. सं. 1306 वर्षे फागुण वदि.४ सा. जिनचन्द्र सुत लक्ष्मण सुत कुमराकेन सुत निजपाल श्रेयार्थ श्रोपावनाबिंब कारित प्रतिष्ठितं श्रीजयदेवसूरि शिष्य श्रीअमरचन्द सूरिभिः (66) 13. पंच धातु प्रतिमाः ____ संवत 1203 फागुण सुदि 6 ब्राह्मणगच्छे मातृ-भृत्य-सिरिश्रेयसे सा. मंजुसेन कारिता / (67) 14. पंच धातु प्रतिमाः // संवत 1524 वर्षे ज्येष्ठ सुदी 6 उपकेश वंशे तेलहरागोत्रे म. मदन पुत्र म. बाहड़ पूत्र म. राजा. म. देवदतयो म. राजाकेन पुत्रसूरासहितेन श्रीसुविधिनाथ बिंब कारित प्रतिष्ठितं श्रीखरतरगछे श्रीजिनभद्रसूरिपट्टे श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः सुभ भयात् / / टापरा यह ग्राम बालोतरा से सिणधरी जाने वाली बस के रास्ते पर पाया हुआ है। यहाँ पर घर मन्दिर है। श्रीमूलनायकजी श्रीपार्श्वनाथजी की श्याम पाषांण प्रतिमा करीब चौथाई मीटर ऊची है। दूसरी प्रतिमा श्वेत पाषाण की श्रीअम्बामाता की है जो करीब 2/3 मीटर है। दोनों प्रतिमानों पर कोई लेख नहीं है : .
SR No.032838
Book TitleBadmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
PublisherJain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publication Year1987
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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