SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 42
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बाड़मेर-जिले के प्राचीन जैन शिलाले व [ 23 राजो श्रीसोनम पुत्र श्रीश्रीवयरसल्ल नरेश्वरेय बांधव सांमल सा. हांसा पुत्र हरीय सुख सपरिवारेय तेजबाई भरतार भाटि महिप पुण्यार्थे गोविन्दराजेन श्रीश्रीमहावीरचेत्ये वा. मोदराजसूरि . उपदेसे ........सुभ भवतु iiनारदेन लखत।। (86) 3. मूलनायकजी श्रीप्रजोतनाथजी मन्दिर लेखः पादुका पर लेखः - . सं. 1652 वर्षे श्रीखरतरगच्छ प्राचार्य श्रीनुवरत्नसूरिणां पादुका करापित श्रीसूत्रधार पवहण / (87) 4. पादुका लेख: ॥श्रीपार्श्वनाथ नमः सं. 1656 बर्षे श्रीप्रचलगच्छेश श्रीविवेकमेरूगरिण चैत्र सुदि 7 दिने स्वर्गगताः श्रीरायघड़ापुर मध्येएषः पादुका प्रतिष्ठितं श्रीसंध। (88). 5. पादुका लेखः श्रीजिनकुशलसुरिणां पादुका कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीश्रीजिनसिंहसूरिभिः कल्याणमस्तु .... (86) 6. पादुका लेखः ॥संवत् १६७१........उपाध्याय श्रीदेवशेखरैः ॥श्रीसंघ श्रीवाचक श्रीरत्नशेखराणां पादुकाः कारापिता प्रतिष्ठितः च कल्याण लिखतु / / . . (60) . 7. श्रीमूलनायकजी श्रीग्रजीतनाथजी पर लेखः / सवत् 1758 वर्षे वैसाख सुद 6. . (61) 8. छोटी प्रतिमा लेखः संवत 1568 वर्से वैसाख सुद 3 शुक्रस्य .. .. (62) 6. छोटी प्रतिमा पर लेखः श्रीसुपार्श्वनाथबिंब का. प्रतिष्ठितं श्रीजिवचन्द्रसूरिभिः
SR No.032838
Book TitleBadmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
PublisherJain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publication Year1987
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy