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________________ [ 33 ] मीमांसा-उपरोक्त सत्य तथ्य लिखने वाले प्राचार्य हस्तीमलजी की कूटनीति देखो कि वे स्वयं श्री प्रष्टापद गिरि पर जिनमन्दिर की रक्षा हेतु जान गंवाने वाले सगर चक्रवर्ती के जह्न प्रादि 60 हजार पुत्रों के विषय में पूज्य शीलांगाचार्य महाराज और पूज्य हेमचन्द्राचार्य महाराज आदि कथित सर्व सुदृढ़ शास्त्रीय प्रमाणों को छोड़कर पौराणिक किंवदन्ती को प्रमाणित करते हैं, जो बात उनके मन की अस्थिरता एवं पक्षपातपूर्णता का सूचन करती है। __ प्राचार्य कैसी दुरंगी नीति रीति अपनाते हैं कि एक भोर तो स्वीकार करते हैं कि पूज्य हेमचन्द्राचार्य महाराज रचित "त्रिषष्ठि शलाका पुरुष चरित्र" ग्रन्थ प्रामाणिक है और दूसरी ओर इस ग्रन्थ में जिनमन्दिर, जिन प्रतिमा की बात पायो वहाँ इन्कार पूर्वक लिख देते हैं कि ऐसी कोई बात मूल प्रागम में नहीं पायी है / 'त्रिषष्ठि शलाका पुरुष चरित्र' की प्रामाणिकता के विषय में खंड 1, पृ० 56 पर वे लिखते हैं कि xxx यह है आचार्य श्री हेमचन्द्रसूरि द्वारा विरचित त्रिषष्ठि शलाका पुरुष चरित्र का उल्लेख जो पिछली आठ शताब्दियों से भी अधिक समय से लोकप्रिय रहा है। xx मीमांसा-बहुत सी ऐसी बातें हैं जिनको प्रमाणित करने के लिये प्राचार्य "त्रिषष्ठि शलाका पुरुष चरित्र" का सहारा लेते हैं, किन्तु जिन मन्दिर और जिन प्रतिमा विषयक बात मानेपर सत्यमार्ग से विपरीत चलकर तुरन्त ही झूठ का सहारा ले लेते हैं / अष्टापदजी तीर्थ की रक्षा में जह्न, प्रादि 60 हजार सगर पुत्रों ने वीरगति पायी थी ऐसा उल्लेख त्रिषष्ठि शलाका पुरुष चरित्र और चउवन महापुरिस चरियम में होते हुए भी मंदिर के विरोध के कारण प्राचार्य लिख देते
SR No.032834
Book TitleKalpit Itihas se Savdhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansundarvijay, Jaysundarvijay, Kapurchand Jain
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year1983
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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