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________________ देखिए, हम रास्ते की तरह एक दूसरे से मिलकर अलग भी नहीं हो सकते तो झरणों की तरह मिलकर एक दूसरे में समा भी नहीं सकते हैं। परम से मिलने के लिए संसार से छूटना होगा। छोडना मुश्किल हो सकता हैं परंतु परम के प्रति पकड मजबूत हो तो संसार छोडना नहीं पडता छूट जाता हैं। छूटकर चलने का जो पथ हैं उसे सुधर्मा स्वामी ने चक्खु पहेट्ठियस्स कहा हैं। बस चक्षुपथ पर मग्गदयाणं मिल जाते हैं और मोक्षदयाणं हो जाते हैं। मार्ग देते हैं और मोक्ष पहुंचाते हैं। इस मार्ग को हम पा सके, जान सके, देख सके और उसपर चल सके ऐसा सामर्थ्य पाकर समर्पित हो जाना है। इस समर्पण का स्वीकार प्रभु कैसे करते हैं इसपर हम कल विचार करेंगे। ।।। नमोत्थुणं मग्गदयाणं ।।। ।।। नमोत्थुणं मग्गदयाणं ।।। ।।। नमोत्युणं मग्गदयाणं ।।। 152
SR No.032717
Book TitleNamotthunam Ek Divya Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherChoradiya Charitable Trust
Publication Year2016
Total Pages256
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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