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________________ धन्य प्रभु की आज्ञा ! धन्य प्रभुकी करुणा! धन्य केवलिभगवान! धन्य गणधर भगवान! धन्य नमोत्थुणं सूत्र! सृष्टि में अभी कही भी सूरज उदित नहीं हुआ परंतु उपाश्रय में सूरज उग गया। प्रभात हो गयी। रात बीत गयी हमेशा हमेशा के लिए। सृष्टि में सूरज उगा नहीं परंतु उजाला हो गया। जो दिखता नहीं पर दिखाता हैं वह उजाला हैं। जो दिखता नहीं पर दिखाता हैं वह उद्योत हैं। जो दिखता नहीं पर दिखाता हैं वह प्रद्योत हैं। जो दिखता नहीं पर दिखाता हैं वह पूर्णज्ञान हैं। जो दिखता नहीं पर दिखाता हैं वह केवलज्ञान हैं। हम भी आज लोगपज्जोयगराणं के चरण में मस्तक रखकर कहेंगे नमोत्थुणं लोगपज्जोयगराणं। इस मंत्र की मालकोष राग में धून लागाऐंगे, आमंत्रित करेंगे, उजाला पाऐंगे और अभय का वरदान मांगेंगे। नमोत्युणं लोगपज्जोयगाणं नमोत्थुणं लोगपज्जोयगराणं नमोत्युणं लोगपज्जोयगाणं hh
SR No.032717
Book TitleNamotthunam Ek Divya Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherChoradiya Charitable Trust
Publication Year2016
Total Pages256
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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